(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi HC Panel Report: दिल्ली सरकार के अस्पतालों की हकीकत, 9 अस्पतालों में नहीं हैं ICU बेड की सुविधा
Delhi Government Hospital: विशेषज्ञ समिति ने सरकारी अस्पतालों में सुधार लाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि स्थायी निदेशकों की नियुक्ति के साथ अलग आईसीयू विभाग बनाने की जरूरत है.
Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से राजधानी के सरकारी अस्पतालों की हकीकत खुलकर सामने आ गई है. विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित नौ अस्पतालों में आईसीयू की तक की सुविधा नहीं है. हाईकोर्ट पैनल का गठन शहर के अस्पतालों में आईसीयू बेड, वेंटिलेटर आदि की स्थिति की जांच करने और भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करने के लिए किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी ले अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसने विभिन्न अस्पतालों द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा का विश्लेषण किया था. इस दौरान पैनल ने पाया कि दिल्ली सरकार के अधीन संचालित अस्पतालों में 11,473 बेड थे, लेकिन केवल 1,396 आईसीयू या वेन टिलेटर बेड थे. हाईकोर्ट की कमेटी ने बताया कि जिस पोर्टल से जानकारी अपलोड की गई वो वह महामारी के दौरान शुरू किया गया था और उसमें उस अवधि के नियमों के अनुसार बुनियादी सुविधाओं सहित आईसीयू बिस्तरों की संख्या बताई गई थी.
इन अस्पतालों में नहीं है ICU की सुविधा
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित जिन अस्पतालों में आईसीयू बेड की सुविधा नहीं है वो उनके चिकित्सा अधीक्षकों को इस बाबत जानकारी हासिल करने के लिए बुलाया गया था. जिन हॉस्पिटलों के चिकित्साधीक्षकों को बुलाया गया उनमें आचार्य श्री भिक्षु गवर्नमेंट हॉस्पिटल, बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल, जग प्रवेश चंद्र अस्पताल, महर्षि वाल्मिकी हॉस्टिपल, डॉ. एनसी जोशी मेमोरियल हॉस्पिटल, सरदार वल्लभभाई पटेल हॉस्पिटल, श्री दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय और राव तुला राम मेमोरियल अस्पताल शामिल थे.
4 अस्पतालों ने कमेटी से नहीं किया सहयोग
इसके अलावा, दिल्ली सरकार के अधीन संचालित चार बड़े अस्पताल प्रबंधन ने विशेषज्ञ समिति द्वारा बार रिमांडर भेजकर अस्पतालों के बारे में आंकड़े मुहैया क अरुणा आसफ अली सरकारी अस्पताल, जीबी पंत पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल प्रशासन ने बार बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी आंकड़े मुहैया नहीं कराए.
एनिस्थीसिया डाक्टरों की कमी
हाईकोर्ट की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया है कि सरकारी अस्पताल में 10 प्रतिशत आइसीयू बेड उपलब्ध होने की आदर्श स्थिति के बदले सिर्फ सात प्रतिशत बेड ही अस्पताल में उपलब्ध हैं. अस्पतालों में एनिस्थीसिया डाक्टरों की भी कमी है.
सरकारी अस्पतालों में कुल बेड की संख्या 11,473
वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अस्पताल में कुल 11,473 बेड हैं. आइसीयू-वेंटिलेटर बेड की कुल संख्या 1,396 है. यह भी कहा गया कि इससे जुड़ा पोर्टल कोरोना महामारी के समय तैयार हुआ था और इस पर दी गई जानकारी कोरोना नियमों के अनुसार थी. इसमें आक्सीजन पाइपलाइन समेत अन्य मूल सुविधाएं शामिल थीं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने सरकारी अस्पतालों में आइसीयू बेड की कमी को लेकर अदालत के सामने हलफनामा अशोक अग्रवाल द्वारा दायर की गई एक याचिका के जवाब में दिया है. अशोक अग्रवाल ने सरकारी अस्पतालों की स्थिति को सुधारने के संबंध में सरकार को निर्देश देने की मांग अदालत से की थी.
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