Delhi Pollution: दिल्ली में AQI बिगड़ने पर कितना असरदार है स्मॉग टावर? वैज्ञानिकों ने दी ये राय
AAP सरकार ने वायु प्रदूषण की जांच के लिए दो स्मॉग टावर (Smog Tower) लगाए थे. लेकिन इनका कोई असर नहीं दिख रहा है. आईफॉरेस्ट के सीईओ चंद्र भूषण ने बताया कि स्मॉग टावरों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
Smog Tower As AQI Deteriorates In Delhi: दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले के बाद राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की जांच के लिए दो स्मॉग टावर (Smog Tower) लगाए थे. स्मॉग टावरों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है क्योंकि सर्दियों के दौरान शहर का वायु प्रदूषण 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में उतार-चढ़ाव जारी है.
स्मॉग टॉवर का वायु प्रदूषण कम करने पर 'नोटिसेबल प्रभाव': दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने कई मौकों पर दावा किया था कि कनॉट प्लेस में स्थापित स्मॉग टॉवर का 300 मीटर के दायरे में वायु प्रदूषण को कम करने पर 'नोटिसेबल प्रभाव' पड़ता है. हालांकि, कनॉट प्लेस में साइट पर जाने पर, टावर चालू स्थिति में नहीं मिला. इसकी स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, साइट पर मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि इसे केवल एक घंटे पहले ही अस्थाई रूप से रोक दिया गया है, क्योंकि वातावरण में नमी एक निश्चित स्तर से अधिक हो गई है.
एक कर्मचारी ने कहा, जब सिस्टम नमी का संकेत देता है, या नमी 70 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो हम सुविधा बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा, एक शोध दल द्वारा सभी नियम और चल रहे मानदंड पारित किए जा रहे हैं, जो हमें मौसम के अनुसार निर्देश देते हैं. हालांकि, स्मॉग टावरों की प्रभावशीलता पर पर्यावरण विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है और वे ज्यादातर कार्यप्रणाली में दोषों का हवाला देते हुए रिपोर्ट्स को खारिज करते हैं.
स्मॉग टावर का कोई वैज्ञानिक शोध या आधार नहीं: चंद्र भूषण
नाम न छापने की शर्त पर, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आईएएनएस को बताया कि यह समझना आसान है कि अगर स्मॉग टॉवर उस सीमित क्षेत्र में प्रदूषकों को देखता है, जैसा कि दावा किया जा रहा है, तो यह दिल्ली की हवा में भी उसे खराब करता है. आईफॉरेस्ट के सीईओ चंद्र भूषण ने कहा, स्मॉग टावरों के कामकाज के पीछे कोई वैज्ञानिक शोध या आधार नहीं है. स्मॉग टावरों के प्रभावशीलता के दावे पर अब तक किए गए अध्ययनों से पता चला है कि वे वायु प्रदूषण (Air Pollution) को रोकने में मदद नहीं कर रहे हैं.
भूषण ने कहा कि प्रदूषण कम करने की तकनीक से ज्यादा स्मॉग टावर सरकार के लिए यह दिखाने की वस्तु बन गया है कि वह प्रदूषण से लड़ने के लिए काम कर रही है. इस तरह की तकनीक दो आधारों पर दिल्ली में संभव नहीं है पहला, कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, और दूसरा उच्च लागत है. यदि दिल्ली सरकार वास्तव में प्रदूषण से लड़ना चाहती है, तो उसे शहर के बाहरी इलाकों में रहने वालों को सब्सिडी वाली एलपीजी प्रदान करनी चाहिए. साथ ही सरकार को सार्वजनिक परिवहन में निवेश करना चाहिए ताकि शहर में प्रदूषण को कम किया जा सके.
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