Delhi Teachers Transfer News: सियासी दलों के बीच किसी मुद्दे को लेकर तकरार होना आम बात है, लेकिन राजधानी दिल्ली में हर बात को लेकर ही सियासत होती है और यहां आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आए दिन दिल्ली के छोटे से लेकर बड़े मद्दों पर खींचतान चलती रहती है. वर्तमान में भी दिल्ली की सत्ताधारी दल आप और विरोधी बीजेपी के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है और इसकी वजह है दिल्ली सरकार के पांच हजार शिक्षकों के तबादले का आदेश जारी होना.


यह एक सामान्य प्रक्रिया है और फिलहाल उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस पर रोक लगा दी है. इसके बाद आप और बीजेपी दोनों ही इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे लेकर कांग्रेस ने इन दोनों पार्टियों को आड़े-हाथों भी लिया. क्या है पूरा मामला और क्यों इसे लेकर राजनीति हो रही है, जानिए पूरी जानकारी इस खबर में.


शिक्षा मंत्री ने दिया तबादले पर रोक का आदेश
बता दें, बीते 11 जून को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने सरकारी स्कूलों में 10 वर्षों से अधिक समय से सेवा दे रहे शिक्षकों के आवश्यक रूप से तबादले का आदेश जारी किया थे. इसे लेकर जहां बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने का आरोप लगाया. 


आप और अधिकारियों में ठनी
दूसरी तरफ आप ने इसे केंद्र की बीजेपी सरकार की साजिश करार दिया. आप ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र के इशारे पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने शिक्षकों के तबादले का आदेश जारी किया है, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं है. इस मामले में 1 जुलाई को शिक्षा मंत्री आतिशी ने शिक्षा निदेशालय और शिक्षा विभाग के सचिव को तत्काल आदेश पर रोक लगाने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रातों-रात शिक्षा निदेशालय ने 10 वर्षों से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के तबादले को अनिवार्य कर दिया.


आतिशी का तबादले में भ्रष्टाचार का आरोप
आम आदमी पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया और आरोप लगाया कि उपराज्यपाल केंद्र सरकार के इशारे पर दिल्ली की बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करना चाहते हैं. जिन्हें विकसित करने में उन्हें 10 साल लग गए हैं.  शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, "जिन शिक्षकों की बदौलत आज सरकारी स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल से बेहतर परिणाम ला रहे हैं, उनका तबादला करना कहीं से भी सही नहीं है. इसका प्रतिकूल प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा."  


शिक्षकों के तबादले को लेकर आतिशी ने भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने शिक्षकों से तबादले को टोकने या मनचाहे तबादले के लिए रिश्वत ली, जिसकी जांच होनी चाहिए.


विरोध के बाद उपराज्यपाल ने वापस लिया फैसला
लगातार विरोधों के बीच उपराज्यपाल ने 7 जुलाई को आखिरकार उस आदेश को वापस ले लिया. उपराज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि तबादले के लिए व्यापक नीति बनाने की जरूरत है, जिसके तहत सभी पहलुओं पर ध्यान देते हुए शिक्षकों का तबादला किया जाएगा. इसलिए फिलहाल वह उनके तबादले के पिछले आदेश पर रोक लगा रहे हैं.


आप-बीजेपी में मची क्रेडिट लेने की होड़


उपराज्यपाल के इस फैसले के बाद जहां एकतरफ आप इसे अपनी और दिल्ली के लोगों की जीत बता रही है. बीजेपी का कहना है कि उन्होंने उपराज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी किए गए आदेश में हस्तक्षेप की मांग करने की बात कही थी. बीजेपी का कहना है कि पांच हजार में से कई शिक्षक ऐसे हैं, जो साल या दो साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे. लेकिन, दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के एक गलत आदेश से उन शिक्षकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.


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