दिल्ली गवर्नमेंट के डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से वहां के 12 गर्वनमेंट फंडेड कॉलेजेस के प्रिंसिपल्स के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है. सरकार का कहना है कि वहां के प्रिंसिपल्स ने उन पर फंडिंग के मुद्दों पर ‘शिक्षकों को उकसाने’ और ‘शत्रुतापूर्ण शिक्षा वातावरण बनाने’ का आरोप लगाया. वहीं इस बारे में प्रिंसिपल्स का कहना है कि उन्हें मिलने वाला फंड पिछले साल की तुलना में करीब 75 प्रतिशत घटा दिया गया है.


क्या है मामला –


दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुल 12 कॉलेज हैं जो पूरी तरह दिल्ली सरकार द्वारा फंडेड हैं. हालांकि इन कॉलेजों और सरकार के बीच आए दिन फंड्स को लेकर विवाद चलता रहता है. इस बीच सरकार की उच्च शिक्षा निदेशक रंजना देसवाल ने वीसी योगेश सिंह को 3 नवंबर को लिखे एक पत्र में कहा कि प्रधानाध्यापक ‘खातों को ठीक से प्रबंधित करने’ के बजाय ‘शिक्षकों को उकसा रहे हैं’.


क्या कहा अधिकारियों ने –


इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शिक्षा की स्थायी समिति (दिल्ली विधानसभा) की अध्यक्ष आतिशी ने इस बारे में कहा, ‘अनुदान के नियम और शर्तों के अनुसार, कॉलेज के प्राचार्यों को धन प्राप्त करने के लिए यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट्स जमा करना आवश्यक है. हालांकि, कॉलेज हर तिमाही में इस प्रक्रिया में देरी करते हैं. एक तरफ कॉलेज बुनियादी प्रक्रिया को पूरा नहीं करते और दूसरी तरफ पलट कर कहते हैं कि दिल्ली सरकार फंड नहीं दे रही...’


क्या कहना है प्रिंसिपल्स का –


इन कॉलेजेस के प्रिंसिपल्स ने सरकार को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया है. उनका कहना है कि उन्हें दिए जाने वाले फंड में कटौती कर दी गई है जिससे वे टीचर्स को एरियर तो क्या उनकी सैलरी भी नहीं दे पा रहे हैं. यही नहीं शिक्षकों को उकसाने वाली बात से भी उन्होंने साफ इंकार किया और कहा कि इसके पीछे मिस कम्यूनिकेशन वजह हो सकती है. 


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