Delhi AQI: दिल्ली सरकार ने AQI से निपटने के लिए 2015 से लेकर अब तक खर्च किए 470 करोड़ रुपये, RTI से मिली जानकारी
दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने 2015 से लेकर अब तक 470 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं. ये जानकारी नोएडा स्थित पर्यावरणविद् अमित गुप्ता द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में मिली बै.
Delhi AQI: वायु गुणवत्ता (Air Quality) में सुधार के लिए, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 2015 से नवंबर 2021 तक 470 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं. ये जानकारी एक आरटीआई (RTI) के जवाब से मिली है. हालांकि इसमें ये भी कहा गया है कि 2015 से दिल्ली सरकार या केंद्र द्वारा DPCC को कोई बजट आवंटित नहीं किया गया था.
नोएडा स्थित पर्यावरणविद् अमित गुप्ता ने दायर की थी आरटीआई
हालांकि, वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए प्रदूषण उपशमन सहायता के अंडर और प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत अक्टूबर 2019 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति से 1 करोड़ 90 लाख 51 हजार 505 रुपये प्राप्त हुए थे. इसमें से अब तक कुछ खर्च नहीं किया गया है. डीपीसीसी ने नोएडा स्थित पर्यावरणविद् अमित गुप्ता द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में ये जानकारी दी है. DPCC ने कहा कि 460 करोड़ रुपये से अधिक एयर एंबियंस फंड से आए और 10 करोड़ रुपये पर्यावरण मुआवजे के रूप में विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण उपायों में निवेश करने के लिए एकत्र किए गए.
आरटीआई में क्या कहा गया है
आरटीआई में कहा गया है एयर एंबियंस फंड से 467.97 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं पर खर्च की गई, जैसे बैटरी से चलने वाले वाहनों और ई-रिक्शा को सब्सिडी देना, ऑड-ईवन ड्राइव, दिल्ली सचिवालय में बायोगैस प्लांट का रखरखाव, उपचार का विकास बवाना में भंडारण और निपटान की सुविधा, पर्यावरण मार्शलों को वेतन और अन्य खर्चे शामिल हैं. ”
आरटीआई में आगे कहा गया है कि 10.6 करोड़ रुपये पर्यावरण मुआवजे से आए और सीएएक्यूएमएस की स्थापना, संचालन और रखरखाव, अनुसंधान और अध्ययन, वायु प्रयोगशाला के लिए उपकरणों की खरीद, सरकारी स्कूलों में रीसाइक्लिंग इकाइयों की स्थापना, नॉइज मॉनिटरिंग स्टेशनों, वायु प्रदूषण मॉनिटरिंग जैसी परियोजनाओं पर खर्च किए गए.
एयर एंबियंस फंड में मार्च 2008 से अब तक 547 करोड़ हो चुके हैं जमा
बता दें कि 2008 में स्थापित और ट्रेड और टैक्स डिपार्टमेंट के माध्यम कलेक्ट किए गए, एयर एंबियंस फंड को दिल्ली में प्रत्येक लीटर डीजल की बिक्री से 25 पैसे मिलते हैं. मार्च 2008 से अब तक कुल 547 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. गुप्ता ने कहा “दिल्ली सरकार ने इस फंड में से 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उन्हें केंद्र से इलेक्ट्रिक बसों के लिए और यमुना के लिए अलग से फंड भी मिल रहा है, लेकिन शहर को कोई राहत नहीं मिली है. ”
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