कोविड – 19 ने हर तरह से सभी की जिंदगी पर प्रभाव डाला है. इस बीमारी का तनाव बड़ों से लेकर बच्चों तक ने बर्दाश्त किया है. बच्चों की पढ़ाई के तरीके से लेकर परीक्षा देने तक के तरीके में फर्क आया और उन्हें तमाम तरह के दबाव और तनाव से गुजरना पड़ा. इस बात की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली सरकार अगले सेशन के पहले स्कूली बच्चों पर अपने उस सर्वेक्षण को पूरा कर लेना चाहती है जिसमें वे पता लगाएंगे कि कोविड का बच्चों की मानसिक सेहत पर कैसा प्रभाव पड़ा है. फिर इसी के अनुसार वे अगले सत्र के लिए ‘हैप्पीनेस क्यूरीकुलम’ डिजाइन करेंग ताकि बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में मदद मिल सके.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की योजना है कि वे अगले सत्र यानी अप्रैल के पहले स्कूली छात्रों पर कोविड – 19 के साइकोलॉजिकल इम्पैक्ट के सर्वे को पूरा कर लें. इसके लिए सरकार बड़े स्तर पर सर्वे कराने की योजना बना रही है.


दो सालों में कैसा प्रभाव पड़ा बच्चों पर –


इस सर्वे के अंतर्गत ये जानने की कोशिश की जाएगी की कोरोना के पिछले दो सालों में बच्चों की मानसिक और भावनात्मक सेहत पर किस प्रकार का असर पड़ा है. बच्चों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर अगले सत्र से उनके लिए खास बनाए जाने वाले ‘हैप्पीनेस क्यूरीकुलम’ में बदलाव किए जाएंगे.


दिल्ली सरकार की अनूठी पहल –


दिल्ली सरकार द्वारा ‘हैप्पीनेस क्यूरीकुलम’ के रूप में एक अनोखी पहल की गई है. इसके अंतर्गत बच्चों को पढ़ाई के साथ ही अन्य क्षेत्रों जैसे क्रिटिकल थिंकिंग, स्टोरी टेलिंग, टीचर-स्टूडेंट इंटरैक्शन आदि पर फोकस कराया जाता है. ऐसी क्लासेस का उद्देश्य छात्रों को तनाव के समय हिम्मत न हारने या दबाव को सही तरीके से लेने के लिए तैयार करता है.


एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा दी जानकारी के अनुसार प्लानिंग डिपार्टमेंट के लिए इस तरह का सर्वे करना अनिवार्य है जिसमें उनका सहयोग शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा. इसके लिए कोई समय-सीमा नहीं तय की गई है लेकिन अगले सत्र से पहले इसे पूरा करना जरूरी है.


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