Delhi News: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (LG) के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान का उस वक्त पटाक्षेप हो गया, जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपने दिए गए ऐतिहासिक फैसले में राजधानी दिल्ली के शासन को चलाने की शक्ति मुख्यमंत्री में निहित कर दी. एलजी और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने गुरुवार को विराम लगा दिया.
कल प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने दिल्ली के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि, जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सभी प्रशासनिक फैसला लेने के लिए सरकार स्वतंत्र होगी. इस फैसले को आप ने दिल्लीवासियों और लोकतंत्र की जीत बताया है. वहीं बीजेपी ने कहा कि पार्टी फैसले का सम्मान करती है. मगर साथ ही ये आशंका भी जताई कि, अब दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री लगेगी. वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्लीवासियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को कर्तव्यपरायणता के साथ निभाएं.
LG और दिल्ली सरकार के बीच टकराव क्यों बढ़ा?
आप का दावा है कि वीके सक्सेना ने पिछले साल मई में दिल्ली एलजी का पद संभाला, तब से वो रोज के कामकाज में दखल देने लगे. सरकार को दरकिनार किया और मुख्य सचिव को सीधे लगभग हर मामले में आदेश दिए. आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व क्रियान्वयन में अनियमितताओं की जांच के आदेश सीबीआई को देने, फिनलैंड में शिक्षकों का प्रशिक्षण, मुफ्त योगा क्लास, मोहल्ला क्लीनिक, अफसरों के ट्रांसफर, बजट की मंजूरी, भ्रष्टाचार विरोधी शाखा पर नियंत्रण और बिजली सब्सिडी के विस्तार जैसे मामलों में एलजी ने सीधे तौर पर दखल देकर इन्हें रोका, जिससे टकराव बढ़ा.
दिल्ली सरकार ने LG पर और क्या क्या आरोप लगाए?
• थिंक टैंक के पूर्व उपाध्यक्ष जैस्मीन लिंक वाले 10 एल्डरमैन नामांकित की जिम्मेदारी प्रतिबंधित किए.
• प्रदूषण कम से जुड़ी योजना के कार्यान्वयन में देरी की.
• एलजी के इशारे पर नौकरशाहों ने प्रोजेक्ट लेट किए.
• एलजी ने वरिष्ठतम पार्षद को नामित करने की परंपरा दरकिनार की और मेयर चुनावों की अध्यक्षता के लिए एक बीडेपी पार्षद नियुक्त किया.
• एलजी ने बीजेपी के राजनीतिक लिंक वाले 10 एल्डरमैन नामांकित किये, जिससे उन्हें मेयर चुनाव में वोटिंग राइट्स मिले, जो दिल्ली नगर निगम अधिनियम- 1957 के तहत सही नहीं था.
• पिछले साल कई महीनों तक बुजुर्गों की पेंशन के वितरण में भी देरी की वजह भी एलजी रहे.
• द्वारका में मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल के अधिग्रहण में बाधक बने, इससे शिक्षा के अधिकार अधिनियम और दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम प्रावधानों का उल्लंघन हुआ.