Delhi News: Yamuna की सफाई को लेकर गंभीर हुई केजरीवाल सरकार, जानें किस प्लान पर हो रहा है काम
Yamuna: दिल्ली सरकार (Delhi Government) यमुना की सफाई (Yamuna Cleaning) के लिए चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है. इसकी जानकारी दिल्ली सरकार में जल मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) ने दी है.
Yamuna Cleaning Delhi: दिल्ली सरकार (Delhi Government) यमुना की सफाई (Yamuna Cleaning) के लिए चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है. जिसके अंतर्गत पहले यमुना (Yamuna) में मिलने वाले नालों को साफ किया जा रहा है. दिल्ली सरकार में जल मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) ने जानकारी दी है कि यमुना में गिरने वाले गंदे नालों की सफाई का बीड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है. इसके अंतर्गत जो बड़े प्रमुख नाले हैं उन पर अस्थाई बांध बनाए गए हैं. जिसके कारण अब उन नालों के बीओडी स्तर में भी सुधार आया है और अन्य प्रदूषकों की मात्रा भी काफी कम देखने को मिली है.
क्या बोले मंत्री
मंत्री ने बताया है कि यमुना को स्वच्छ करने की दिशा में चल रही गतिविधियों के अनुरूप, दिल्ली सरकार का सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग काम कर रहा है. विभाग यमुना के सबसे बड़े प्रदूषक यानी नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन के उपचार के लिए अपनी योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है. इस योजना के तहत, नालों के जरिये यमुना के प्रदूषित होने की समस्या के समाधान पर काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यमुना को प्रदूषित करने वाले नालों की सफाई होते ही यमुना अपने आप साफ होने लगेगी. यमुना में मिलने वाले दूषित नालों में प्रदूषकों की मात्रा को कम करने के लिए अस्थाई बांधों का निर्माण एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है.
कहां कहां हो रहा काम
इस परियोजना के तहत, दिल्ली सरकार ने नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन के पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने के काम की शुरुआत कर दी है. इस पहल में नजफगढ़ ड्रेन जो यमुना में गिरने से पहले लगभग 57 किमी चलती है, इसके अलावा सप्लीमेंट्री ड्रेन, जो ककरौला रेगुलेटर के पास से निकलती है और नजफगढ़ नाले में गिरती है, दोनों को साफ किया जाएगा. इसके लिए इन नालों के रास्ते में छोटे-छोटे अस्थायी बांध बनाए गए हैं. एक अस्थाई बांध या मेड़, जो नालों पर बना छोटा अवरोध होता है और यह जल स्तर को ऊपर की तरफ थोड़ा और उठाने में मदद करता है. बांध पानी को अपने पीछे जमा होने देते हैं, बहते पानी के अवरोध को बढ़ाने के लिए नाले के बीच-प्रवाह में बांध बनाए जाते हैं. इससे भारी प्रदूषक वहीं नीचे रुक जाते हैं और पानी धीरे-धीरे निकल जाता है.
क्या हो रहा है काम
जल मंत्री ने बताया कि वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड (डी.जे.बी.) अपने इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट (आई.एस.पी.) के माध्यम से नजफगढ़ के साथ-साथ सप्लीमेंट्री ड्रेन के अपशिष्ट जल का उपचार करता है. इसके अलावा सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा और भी कई कदम उठाए जा रहे हैं. जिनमें मुख्य रूप से नालियों की गाद निकालना, अपशिष्ट अवरोधों की स्थापना, तैरते ठोस पदार्थों को निकालने के लिए फ्लोटिंग बूम का इस्तेमाल, ठोस अपशिष्ट और निर्माण कार्यों से निकले अपशिष्टों को नाले से हटाना, कचरा और अन्य खरपतवार हटाना, नाली की भूमि में डंपिंग को रोकने के लिए चारदीवारी की मरम्मत करना, पुलों पर तार की जाली का निर्माण, चेतावनी बोर्ड की स्थापना और इनलेट्स जाली को नाली के मुंह लगाना शामिल है.
कहां बना बांध
इस परियोजना के तहत सप्लीमेंट्री ड्रेन पर 11 व नजफगढ़ ड्रेन पर तीन बांध का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. जबकि 10 बांध का कार्य प्रगति पर है. हाल ही में निर्मित बांधों ने सकारात्मक परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है और इसलिए आने वाले समय में इस परियोजना की सफल होने संभावना बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही इससे योजना के अंतर्गत जिन नालों पर बांध बनाए गए हैं उनमें रिठाला एसटीपी, रोहिणी सेक्टर 11 के पास बने बांध, रोहिणी सेक्टर 16 में बने बांध और रोहिणी सेक्टर 15 में बने बांध शामिल हैं. इन्हीं बांध के पास से सैंपल एकत्रित किए गए हैं.
जिससे पता लगा की-
-अस्थाई बांध-निर्माण के बाद सस्पेंडेड ठोस पदार्थों में भारी कमी आई है. रिठाला से रोहिणी सेक्टर 15 के बीच कुल सस्पेंडेड ठोस पदार्थ का स्तर 166 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर केवल 49 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया है.
-यह परिणाम अपशिष्ट जल में अमोनिया की मात्रा में आने वाली भारी कमी को भी दर्शाता हैं. परीक्षण में पाया गया कि रिठाला में अमोनिया का स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर था. जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते मात्र 18 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया.
-प्रत्येक बांध से गुजरने के बाद गंदे पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर धीरे-धीरे कम होता हुआ नजर आया. परीक्षण में दर्ज बीओडी का स्तर रिठाला एसटीपी के पास 83 मिलीग्राम प्रति लीटर था. जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते घटकर 27 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया.
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