Delhi News: दिल्ली सरकार ने यमुना नदी में आने वाली बाढ़ का भी सदुपयोग करेगी. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ के संचित पानी को बाढ़ खत्म होने के बाद वापस जमीन में लौटाना है. इससे भूजल का स्तर न सिर्फ रिचार्ज होगा बल्कि बेहतर होकर पानी का स्तर और ऊपर आ जाएगा. इसके अलावा दिल्ली के घरों में 24 घंटे साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी. पल्ला फ्लड प्लेन सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है. 


स्वच्छ पानी की आपूर्ति को बढावा देने का है उद्देश्य
इसका उद्देश्य दिल्ली में स्वच्छ पानी की आपूर्ति को बढ़ावा देना है. पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढ़े (जलभृत) बनाए गए हैं. मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है. नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढ़ों में पानी बचा रहता है. इससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है. जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा.


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आए हैं बेहतर रिजल्ट
पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के कार्यान्वयन के तत्काल परिणाम में बेहतर रिजल्ट सामने आए हैं. वर्ष 2020 और 2021 में क्रमश 2.9 मिलियन क्यूबिक मीटर और 4.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अंडरग्राउंड वाटर बड़े पैमाने पर रिचार्ज किया गया. वहीं, इसके बाद भी यह देखा गया कि पल्ला परियोजना क्षेत्र में पिछले वर्ष का भूजल स्तर, अनुमान से निकाले गए 3.6 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल से अधिक था.


भूजल-स्तर में आ रही है वृद्धि
इस परियोजना ने न केवल पानी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम किया है, बल्कि गड्ढ़ों (जलभृतों) में पानी की बढ़ोतरी भी हुई है. परियोजना क्षेत्र में पीजोमीटर में भूजल-स्तर में 0.5 मीटर से 2.5 मीटर की औसत वृद्धि देखी गई. इसके अलावा साल 2020 और 2021 में प्री-मानसून और पोस्ट-मॉनसून सीजन के लिए तैयार की गई रूपरेखा में यमुना नदी से शहर की ओर ग्राउंडवाटर का फ्लो दिखाया गया.


बाढ़ का प्रकोप देखना पड़ता है दिल्ली को
गुरुवार को पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का जायजा लेने पहुंचे दिल्ली जल बोर्ड उपाध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बताया कि राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मानसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है. बाढ़ का प्रकोप ज्यादा हो तो उसका नुकसान दिल्ली को झेलना पड़ता है. ऐसे में दिल्ली सरकार ने तीन साल पहले मानसून के मौसम में नदी से बाढ़ के अतिरिक्त पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना बाढ़ के मैदान में पर्यावरण के अनुकूल पल्ला प्रोजेक्ट शुरू किया था. इस प्रोजेक्ट के तहत 26 एकड़ का एक तालाब भी बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है, इसका उपयोग राष्ट्रीय राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. भूजल स्तर में बढ़ोतरी की मात्रा का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं.


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