Delhi News: दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाली बसें  लोगों को उन स्थान तक की कनेक्टविटी प्रदान करती है, जहां मेट्रो नहीं है. इसे राजधानी दिल्ली की लाइफलाइन कहा जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. यहां तक कि मेट्रो तक जाने के लिए भी लोगों को बस का इस्तेमाल करना पड़ता है. इसलिए बस दिल्ली में ट्रांस्पोर्टेशन का एक अहम साधन है. बसों में सवार होने वाली लोगों की भीड़ को देख कर यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि दिल्ली में जरूरत के अनुसार बसें नहीं हैं. ऐसे में अगर वर्तमान बसों की संख्या से हजार बसों को कम कर दिया जाए तो निश्चित ही लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.


दरअसल, दिल्ली सरकार साल के अंत तक हजार बसों को स्क्रैप करने जा रही है. जिनमें 650 DTC की बसें हैं, जबकि 300 से ज्यादा क्लस्टर बसें इनके शामिल हैं. इन बसों की उम्र पूरी हो चुकी हैं, इसलिए उन्हें सड़कों पर से हटाने की तैयारी है. लेकिन इस बसों को हटाने से पहले, नई बसों को सड़क पर उतारने की पहल अब तक नहीं की गयी है. इससे आने वाले दिनों में दिल्ली में बस यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. 


सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली में बसों के बेड़े से इतनी बड़ी संख्या में बसों को हटाने का सरकार ने फैसला कर लिया है, लेकिन नई बसों को लाने के नाम पर उनके पास सिर्फ आश्वासन ही है. उन्होंने कहा कि 100 इलेक्ट्रिक बसें आई हैं, लेकिन खराबी के कारण वे मायापुरी डिपो में महीने भर से भी ज्यादा समय से खड़ी हैं. राजधानी में इस समय कम से कम 12 हजार बसों की जरूरत है लेकिन केजरीवाल सरकार की अदूरदर्शिता और लापरवाही का आलम यह है कि पिछले आठ वर्षों में उन्होंने नई बसों को लाने का कोई इंतजाम नहीं किया. हाल ही में जो 300 इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली की सड़कों पर उतारी गई हैं, उसे केंद्र सरकार ने दिल्ली को उपलब्ध कराया है. इसके अलावा मेट्रो ने 94 फीडर बसें दिल्ली सरकार को दी हैं.


बिधूड़ी ने बताया कि दिल्ली की सड़कों पर इस समय 6931 बसें हैं. इनमें से 3887 बसें डीटीसी की, 2950 क्लस्टर बसें और 94 फीडर बसें हैं. डीटीसी की बसों में 300 इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हैं. इलेक्ट्रिक बसों को छोड़ दें तो, DTC की 3587 बसें पुरानी हो चुकी हैं. ये सभी बसें 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले ही खरीदी गई थीं और ये सभी अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं. इन बसों की उम्र 8 साल से बढ़ाकर 10 साल की गई और अब 13 साल की उम्र भी पूरी हो चुकी हैं. इन्हें अब तक सड़क से हटा लिया जाना चाहिए था लेकिन जनता की सुरक्षा को ताक पर रखकर इन्हें लगातार चलाया जा रहा है.


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