Delhi Govt Hospitals: सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए लंबी लाइन में लगने से मिलेगी मुक्ति, kiosks के जरिए बनेंगे OPD कार्ड
kiosk Machine: स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में कियोस्क मशीन लगाने की योजना पर काम कर रही है. अब मरीज या तीमारदार लंबी कतारों में लगे बिना OPD कार्ड बनवाकर इलाज करवा पाएंगे.
Delhi News: दिल्ली के बड़े से लेकर छोटे सरकारी अस्पतालों तक में इलाज के लिए काफी संख्या में मरीज पहुंचते हैं. इसका सीधा असर यह होता है कि काफी संख्या में मरीजों के आने से सरकारी अस्पतालों में भीड़ लगी रहती है. मरीजों या उनके तीमारदारों को अपना नंबर लगाने के लिए लंबी लाईन में घंटों इंतजार करना पड़ता है. बावजूद इसके कई बार मरीजों का OPD कार्ड नहीं बन पाता. उन्हें बिना डॉक्टरी परामर्श के लौटना पड़ता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में कियोस्क मशीन लगाने की योजना पर काम कर रही है. ताकि मरीज या उनके परिजन बिना लंबी कतारों में लगे OPD कार्ड बनवा कर इलाज करवा पाएं.
कियोस्क मशीन में डिटेल यानी नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और बीमारी की जानकारी डालने के बाद एक टोकन निकलेगा. जिससे आसानी से ओपीडी कार्ड बन सकेगा. इसमें महज 2 से 4 मिनट लगेंगे. बता दें कि इस सुविधा की सबसे पहले शुरुआत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के सुपर स्पेशिलिटी ब्लॉक में हुई थी. जहां मरीज खुद ही टोकन लेकर स्क्रीन पर अपने नंबर की प्रतीक्षा करते हैं और फिर नंबर आने के बाद काउंटर से ओपीडी कार्ड प्राप्त करते हैं.
38 अस्पतालों लगेंगे कियोस्क मशीन
कियोस्क मशीन को एम्स, सफदरजंग के अलावा आरएमएल, एलएनजेपी, डीडीयू, दिल्ली स्टेट कैंसर अस्पताल जीबी पंत, आईएलबीएस हॉस्पिटल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल सहित 38 अस्पतालों में लगाया जाना है. इससे करीब 50 हजार मरीजों को इलाज में सहूलियत मिलेगी. एलएनजेपी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार के अनुसार कियोस्क मशीनें लगाने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है. वहीं, जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बनारसी दास ने बताया कि शुरुआत में अस्पताल में 5 मशीन लगाने पर काम किया जा रहा है.
मरीज जानकारी देकर ले सकेंगे टोकन
हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं को सपोर्ट करने वाला कियोस्क (कम्युनिकेसजोन इंटीग्रेटेड ऑफटलिंग सर्विस कॉन्टोर) कंप्यूटर डिवाइस के रूप में काम करता है. यही हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और कनेक्टिविटी के साथ ज्वाइंट है. इसकी कीमत करीब डेढ़ लाख है. यह स्क्रीन साइज और फीचर पर भी निर्भर करता है. मैनुअल काम की तुलना में यह तेजी से काम करता है. इससे समय के साथ कागज की भी बचत होगी. कियोस्क मशीनों की मदद से मरीज अब खुद अपनी जानकारी डालकर टोकन हासिल कर सकेंगे, जिससे मरीजों को अस्पताल में लंबी लाइनों से छुटकारा मिल जाएगा.
2 से 4 मिनट में रजिस्ट्रेशन संभव
कियोस्क मशीनों की सहायता से मरीज को ओपीडी के रजिस्ट्रेशन में महज दो से चार मिनट का वक्त लगता है. इन मशीनों में मरीज का पूरा डिटेल भरा जाता है. मरीज नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर और बीमारी के बारे में इस मशीन में जानकारी देते है. पंजीकरण हो जाने के बाद कियोस्क मशीन से एक पर्ची मिलती है, जिससे ओपीडी कार्ड बन सकेगा.