दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि किशोरों (जुवेलाइन) के खिलाफ कथित छोटे अपराधों के 898 मामलों को यहां किशोर न्याय बोर्ड (JJB) में बंद कर दिया गया है, जो लंबित थे और एक साल से अधिक समय से उनकी जांच पूरी नहीं हुई थी. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की एक पीठ ने इससे पहले ऐसे मामलों को बंद करने के कोर्ट के निर्देश का अनुपालन नहीं करने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी.


पीठ ने कहा, ‘‘इस कवायद का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को पुनर्वास प्राप्त हो ... हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या पुनर्वास के लिए कोई प्रक्रिया अपनाई जा रही है? ... यह केवल औपचारिकता नहीं है. उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले किसी की भी अनदेखी न हो.’’ पीठ ने कहा गया है कि किसी समाज को इस दृष्टिकोण से सबसे अच्छा आंका जा सकता है कि वह अपने बच्चों की देखभाल कैसे करता है.


दिल्ली सरकार की वकील नंदिता राव ने कोर्ट को सूचित किया कि कथित छोटे अपराधों के 800 से अधिक मामले, जो एक साल से अधिक समय से लंबित थे, उन्हें छह जेजेबी में बंद कर दिया गया है और उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, केवल 34 मामले थे जिसमें जांच छह महीने से अधिक समय से लेकिन एक वर्ष से कम से समय से लंबित थी. छोटे अपराधों में वे अपराध शामिल हैं जिनके लिए भारतीय दंड संहिता या फिलहाल लागू किसी अन्य कानून के तहत अधिकतम सजा तीन साल तक की कैद की है.


29 सितंबर को, अदालत ने आदेश दिया था कि ऐसे सभी मामलों जो नाबालिगों के खिलाफ कथित तौर पर छोटे अपराधों के लिए जेजेबी के समक्ष जांच लंबित है और उनकी जांच एक वर्ष से अधिक समय तक नहीं हुई, उन्हें ‘‘तत्काल प्रभाव से बंद’’ किया जाए. मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.


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