नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में मुस्लिम समाज में बहुविवाह की प्रथा को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. इस दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिश ने विपिन सांघी ने और न्यायाधिश नवीन चावला की बेंच ने केंद्र सरकार से बहुविवाह की वैधता के संबंध में अपना रूख स्पष्ट करने के लिए कहा. साथ ही प्रतिवादी पक्ष को नोटिस भी जारी कर जवाब देने के लिए कहा.


याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में क्या कहा था?


याचिकाकर्ता रेशमा ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि पतियों के लिए एक न्यायिक अधिकारी का प्रमाण पत्र अनिवार्य किया जाना चाहिए कि वह नई पत्नी के लिए आवास और रखरखाव आदि प्रदान करने में सक्षम है, वह अपनी सभी जीवनसाथी के साथ समान व्यवहार करें और निकाह से पहले अपनी मैरिटल हिस्ट्री की भी घोषणा करें. साथ ही मौजूदा पत्नी की लिखित अनुमति के बिना दूसरी शादी की व्यवस्था को असंवैधानिक और गैरकानूनी ठहराया जाए. याचिकाकर्ता ने इस्लामिक कोड के तहत होने वाली शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने के लिए कानून बनाने का भी अनुरोध किया.


हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब देने के लिए कहा


इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया. बता दें कि याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका पति उसे "तलाक देने" की योजना बना रहा है और उसकी सहमति के बिना किसी अन्य महिला से शादी कर रहा है. वह उसके और उसके बच्चे के भरण-पोषण की भी कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है.


पुरुषों को केवल असाधारण परिस्थितियों में बहुविवाह की अनुमति है


जनहित याचिका के अनुसार, शरिया या इस्लामी कानूनों के तहत पुरुषों को केवल असाधारण परिस्थितियों में बहुविवाह की अनुमति है और महिलाओं को सामाजिक और घरेलू अन्याय का शिकार होने से रोकने के लिए इसे विनियमित किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता रेशमा ने तर्क दिया कि वर्तमान पत्नी की मंजूरी के बिना द्विविवाह / बहुविवाह "असंवैधानिक, शरीयत विरोधी, अवैध, मनमाना, कठोर, अमानवीय और बर्बर" है, और संवैधानिक अधिकारों के विपरीत है. यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15,21 और 25 का भी उल्लंघन करता है. याचिका में ये भी कहा गया ति इस्लामी कानूनों द्वारा शासित देशों में भी विशेष परिस्थितियों में ही दूसरे विवाह की अनुमति है, जैसे कि पहली पत्नी की बीमारी या बच्चा पैदा करने में असमर्थता.बता दें कि अब इस मामले पर अलगी सुनवाई 23 अगस्त को होगी.


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