HC On MCD Salary Issue: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आयुक्त, वित्त सचिव और दिल्ली सरकार के शहरी विकास सचिव को एमसीडी के विभिन्न कर्मचारियों के वेतन का भुगतान न करने से संबंधित याचिकाओं के एक बैच में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि समय-समय पर नागरिक निकाय के दिए गए आश्वासन के बावजूद कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.


बता दें कि पिछले साल दिसंबर में हुई सुनवाई में अवमाननाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकीलों, एनसीटी दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम ने संयुक्त रूप से कोर्ट को सभी भुगतान जल्द से जल्द जारी किए जाने का आश्वासन दिया था. इसके लिए उन्होंने चार सप्ताह का समय लिया था. बता दें कि एमसीडी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने दलीलें पेश की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पेंशन जारी नहीं की जा रही है.  इस संबंध में उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यहां तक ​​कि "पेंशनभोगी भी पेंशन प्राप्त नहीं कर रहे हैं" और वे जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं.


वेतन-पेंशन प्राप्त करना अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार: HC


कोर्ट ने कहा था कि "इस अदालत के पास एमसीडी के आयुक्त, वित्त सचिव और जीएनसीटीडी के शहरी विकास सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति का निर्देश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है." इसके बाद 2 फरवरी के लिए मामले पर आगे की सुनवाई को सूचीबद्ध किया गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2021 में  दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि वेतन और पेंशन प्राप्त करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है. इस दौरान कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि एमसीडी कर्मचारियों के वेतन के लिए यह पार्षदों के साथ-साथ नागरिक निकायों के वरिष्ठ अधिकारियों को भुगतान के लिए धन का उपयोग करने से रोक देगा.


कोर्ट ने इन पर हुए खर्च का ब्यौरा भी मांगते हुए कहा था कि "धन की कमी के कारण को इस तरह के भुगतान न करने के बहाने के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है."


कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना एक परम आवश्यकता: HC


उच्च न्यायालय ने डॉक्टरों, पैरामेडिकल कर्मचारियों और स्वास्थ्य कर्मियों सहित निगमों के कर्मचारियों को वेतन के भुगतान को एक परम आवश्यकता बताते हुए निगमों को किए जा रहे दूसरे खर्चों पर वेतन को प्राथमिकता दिए जाने की सलाह दी थी. उच्च न्यायालय ने उस दौरान यह टिप्पणी भी की थी कि दिल्ली सरकार को इस तथ्य का ध्यान रखना चाहिए कि इन निगमों के कर्मचारी भी दिल्ली के मतदाता हैं. अगर आप सत्ता में हैं, तो आप उनकी वजह से भी सत्ता में हैं. उनके साथ ऐसा व्यवहार न करें.


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