Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (19 अक्टूबर) को अपने पति से अलग रह रही और तलाक की अर्जी दायर करने की इच्छुक एक महिला को 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त कराने की अनुमति दे दी. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के मेडिकल बोर्ड ने राय दी है कि भ्रूण सामान्य है और गर्भ समाप्त करना सुरक्षित है.
हाई कोर्ट ने 31-वर्षीया महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि वह अपने पति से अलग हो गई है और इसलिए अपना गर्भ बरकरार रखना नहीं चाहती है. याचिकाकर्ता ने वकील अमित मिश्रा के माध्यम से ‘गर्भ का चिकित्सीय समापन’ (MTP) अधिनियम के प्रावधानों के तहत, आज की तारीख में 23 सप्ताह और चार दिन का गर्भ समाप्त करने की अनुमति के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
अदालत ने पहले एम्स (AIIMS) से कहा था कि वह इस बात पर विचार करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करे कि क्या महिला के लिए अपने गर्भ को समाप्त करना सुरक्षित होगा. अदालत ने भ्रूण की स्थिति की पड़ताल करने को भी कहा था. हाई कोर्ट ने याचिका में महिला के पति को भी पक्षकार बनाया था. महिला और उसका पति गुरुवार को अदालत में मौजूद थे.
महिला ने कहा कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है और उसके लिए अपने गर्भ को नष्ट करने का निर्णय लेना कठिन था. हालांकि, पति ने कहा कि वह पत्नी के साथ रहना चाहता था और इसके लिए उसने सुलह की कोशिश भी की थी, लेकिन यह विफल रही.
अदालत को यह भी अवगत कराया गया कि महिला ने अब अपने पति के खिलाफ दिल्ली पुलिस की महिला अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई है. हाई कोर्ट ने एमटीपी अधिनियम की धारा तीन का अवलोकन किया, जो पंजीकृत चिकित्सकों के तरफ से गर्भ को समाप्त करने का प्रावधान करती है. इन प्रावधानों के तहत एक महिला को कुछ शर्तों के साथ 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी जाती है.
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