दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को यौन उत्पीड़न की शिकार एक 13 वर्षीय नाबालिग को उसके जीवन और उसकी शिक्षा के हित को देखते हुए उसके 25 सप्ताह के गर्भ गिराने (Abortion) की अनुमति दी. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम बुधवार को ही गर्भपात (Abortion) की प्रक्रिया को पूरा करेगी. बता दें कि अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब लड़की और उसकी मां ने अदालत में कहा कि वह गर्भावस्था को पूरा नहीं करना चाहती.
कल ही किया जाएगा बच्ची का गर्भपात
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लड़की की जिंदगी, उसकी शिक्षा और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए गर्भपात कराना ही उसके हित में होगा. न्यायाधीश ने कहा कि सभदरजंग अस्पताल के डॉक्टर इस प्रक्रिया को कल ही अंजाम देंगे. अदालत ने यह भी कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें भरोसा दिया है कि वे गर्भपात की प्रक्रिया के दौरान बच्ची की सर्वोत्तम देखभाल करेंगे. कोर्ट ने कहा कि भ्रूण के सैंपल सुरक्षित रखे जाएंगे, क्योंकि आरोपी को सजा दिलाने के लिए भविष्य में इसकी जरूरत पड़ सकती है.
सरकार उठाएगी गर्भपात का सारा खर्च- कोर्ट
वहीं याचिकाकर्ता को यौन उत्पीड़न का शिकार मानते हुए अदालत ने कहा कि गर्भपात का सारा खर्च केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वहन किया जायेगा. बता दें कि सुनवाई के दौरान डॉक्टरों ने कोर्ट से कहा था कि यदि बच्ची का गर्भ जारी रहता है तो उसके जीवन को खतरा है, डॉक्टरों ने कोर्ट को यह भी बताया था कि यदि उसका गर्भपात भी हो जाता है तो भी उसकी जान को खतरा है.
केवल 24 सप्ताह तक ही है गर्भपात कराने की अनुमति
वहीं बच्ची ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने 18 जनवरी को अपना अल्ट्रासाउंड कराया था, उस दौरान उसे पता चला था कि वह 23 सप्ताह और 6 दिन की गर्भवती है. इसके बाद बच्ची का परिवार सफदरजंग अस्पताल गया और फिर बच्ची की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गयी. जब डॉक्टरों ने गर्भपात करने से मना कर दिया तब बच्ची ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दरअसल नियमानुसार गर्भपात 24 सप्ताह के भीतर कराया जा सकता है जबकि बच्ची 25 सप्ताह की गर्भवती थी.
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