Delhi Nizamuddin Markaz: शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) को पूरी तरह से खोलने की अनुमति देने की मांग वाली दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायामूर्ति मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने केंद्र से इसम मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा.
केंद्र सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
केंद्र सरकार (Central Government) के वकील रजत नायर ने कोर्ट को बताया कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) की इमारत को पूरी तरह से फिर से नहीं खोला जा सकता है और शब-ए-बारात (18 मार्च) के त्योहार के दौरान केवल कुछ लोगों को परिसर में मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है.
कोर्ट ने केंद्र से पूछा पहले तल को खोलने में कोई परेशानी नहीं तो बाकी तल में क्यों
इस पर कोर्ट ने नायर से सवाल किया कि जब पहले तल को खोलने में कोई परेशानी नहीं है तो फिर बाकी के तल क्यों नहीं खोले जा सकते हैं? बता दें कि मार्च 2020 में कोविड महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात का एक कार्यक्रम हुआ था. जिसके बाद कोविड मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई थी. इसके फौरन बाद मरकज को बंद कर दिया गया था.
वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से जाना चाहा कि मरकज को रोज क्यों नहीं खोला जा सकता है जबकि त्योहारो के दौरान इसे खोले की अनुमति दी जा रही है. केंद्र की ओर से पेश वकील रजत नायर ने न्यायमूर्ति मनोज ओहरी को बताया कि मस्जिद एक केस प्रॉपर्टी है और याचिकाकर्ता बोर्ड के पास इसे फिर से खोलने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है.
कुछ शर्तों के साथ नमाज अदा करने की दी गई थी छूट- केंद्र
वकील ने कहा कि पहले के मौकों पर भी कुछ लोगों को शर्तों के अधीन नमाज अदा करने की छूट दी गई थी और इस बार भी इस तरह की व्यवस्था पर केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है. गौरतलब है कि 15 अप्रैल, 2021 को, अदालत ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज में 50 लोगों को दिन में पांच बार नमाज अदा करने की अनुमति देते हुए कहा था कि डीडीएमए (दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) की अधिसूचना में पूजा स्थलों को बंद करने का कोई निर्देश नहीं है.
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वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकीलों ने कोर्ट में क्या कहा?
इधर वक्फ बोर्ड की ओर से पेश अधिवक्ता वजीह शफीक ने अदालत से कहा कि मस्जिद, जो दिल्ली पुलिस के अंडर बंद है, उसे फिर से खोला जाना चाहिए क्योंकि डीडीएमए ने अब उन सभी प्रतिबंधों को हटा दिया है जो महामारी के कारण लगाए गए थे. बोर्ड ने कहा है कि पिछले साल दो मौकों - शब-ए-बारात और रमजान के दौरान उच्च न्यायालय ने मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी थी. वहीं बोर्ड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने कहा कि जब कोविड चरम पर था तब भी पूर्ववर्ती बेंच ने 50 लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी थी. उन्होंने दलील दी कि यह एक भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है और यहां सभी नमाजियो को प्रथम तल पर इजाजत देने से कोविड का खतरा बढ़ेगा. वहीं मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि, “ ऐसी कोई वजह नहीं दिखती है कि पाबंदी लगाई जाए और मस्जिद परिसर को न खोला जाए, जबकि कोई अन्य धार्मिक स्थल बंद नहीं हैं.”
कोर्ट ने मामले को 14 मार्च के लिए किया सूचीबद्ध
बता दें कि केंद्र ने अपने एक हालिया हलफनामे में मरकज को खोले जाने का पूरी तरह से विरोध किया था और कहा था कि कुछ ही लोगों को आगामी त्योहारों पर मरकज में नमाज अदायगी की अनुमति दी जा सकती है. वहीं मामले में कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देने के साथ ही 14 मार्च के लिए सूचीबद्ध कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने केंद्र से ये भी कहा कि, “ हमें आपकी दलील पर कुछ स्पष्टता चाहिए.”
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