Nizamuddin Dargah: दिल्ली हाई कोर्ट ने निजामुद्दीन दरगाह के पास अवैध निर्माण पर लगाई रोक, CBI से कराई जा सकती है जांच
Delhi High Court News: जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी ने हाल ही में एक जनहित याचिका दायर कर अवैध निर्माण के लिए दोषी विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जनवरी को संबंधित अधिकारियों को केंद्र संरक्षित निजामुद्दीन दरगाह और बावली के पास एक अनधिकृत गेस्ट हाउस में किसी भी निर्माण को रोकने का आदेश दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने अनधिकृत निर्माण पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी कि इसकी जांच सीबीआई से भी कराई जा सकती है.
हाईकोर्ट ने यह आदेश जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के बाद जारी किया. याचिकाकर्ता ने अनधिकृत निर्माण जारी रहने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) और अन्य प्राधिकरणों के अनधिकृत निर्माण को रोकने में असफलता के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की थी. अदालत ने इस मामले में कहा कि चूंकि निर्माण अभी भी चल रहा है, इसलिए प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि संपत्ति पर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा.
अवैध निर्माण जारी
दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित बाराखंभा मकबरे और निजामुद्दीन बावली के 50 मीटर के भीतर गेस्ट हाउस का निर्माण पिछले कुछ समय से चल रहा है. याचिका में गेस्ट हाउस को ध्वस्त करने की भी मांग की गई है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 2018 के अदालती आदेश के बावजूद पंजीकरण प्रमाणन की कमी के चलते संपत्ति को सील कर दिया गया, लेकिन अनधिकृत निर्माण जारी रहा.
MCD के अतिरिक्त आयुक्त तलब
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने यचिका पर सुनवाई के बाद नियमों के उल्लंघनों पर ध्यान दिया और संबंधित क्षेत्र के एमसीडी के अतिरिक्त आयुक्त को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया. मंगलवार को एएसआई के वकील ने अदालत को बताया कि संबंधित संपत्ति के मालिक को दिसंबर 2023 में एक नोटिस जारी किया गया था. मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस को भी लिखा था.