Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने जन सूचना अधिकार के दायर को लेकर अहम फैसला दिया है. उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2011 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन पर सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दर्ज विभिन्न मामलों में 2007 में भारत के सॉलिसिटर जनरल द्वारा केंद्र को दी गई राय का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था.


दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मसले पर सुनवाई समाप्त होने के बाद अपने फैसले में कहा कि ऐसी जानकारी को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के प्रावधानों के तहत छूट दी जा सकती है और केवल तभी यह जानकारी दी जा सकती है, जब यह मानने की ‘‘ठोस वजह’’ हो कि इसका खुलासा जनहित में है.


एसजी-केंद्र का रिश्ता भरोसे पर आधिारित


दरअसल, केंद्र सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले को चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल और भारत सरकार के बीच रिश्ता विश्वास और एक लाभार्थी का है, इसलिए इसे कानून की धारा 8 (1)(ई) के तहत छूट दी गई है.


सरकार को सलाह देना एसजी की जिम्मेदारी


दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले में आरटीआई आवेदक ने कोई जनहित का प्रदर्शन नहीं किया है, तो सीआईसी का आदेश बरकरार नहीं रह सकता. अदालत ने कहा कि कानूनी अधिकारियों की नियुक्ति से जुड़े नियमों के अनुसार कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना विधि अधिकारियों की जिम्मेदारी है और एक कानूनी अधिकारी को भारत सरकार की अनुमति के बगैर किसी भी पक्ष की तरफ से बोलने की स्वीकृति नहीं होती है.


केंद्र ने सीआईसी के आदेश को दी थी चुनौती


बता दें कि आरटीआई आवेदक सुभाष चंद्र अग्रवाल ने साल 2010 में आरटीआई कानून के तहत एक आवेदन दायर कर 2जी बैंड व स्पेक्ट्रम के आवंटन के संबंध में कुछ सूचना तथा जानकारियां मांगी थी, जिसे देने से इनकार किया गया था. इस पर केंद्रीय जन सूचना आयोग ने केंद्र सरकार को सूचना मुहैया कराने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी. 


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