Delhi News: जानें- दिल्ली हाई कोर्ट ने क्यों कहा- भारत में जरूरत के समय बहन को बेसहारा नहीं छोड़ता भाई, पढ़ें पूरी खबर
Delhi High Court: भारण-पोषण के मामले में भाई की पत्नी की चुनौती याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने की टिप्पणी. कहा, भाई-बहन के रिश्ते में एक-दूसरे के लिए देखभाल की गहरी भावना.
Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने भरण-पोषण मामले में भाई-बहन के रिश्ते को लेकर भारतीय संस्कृति के अनुरुप एक अहम टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने पति की तलाकशुदा बहल पर पैसा न खर्च करने की महिला की दलील को ठुकराते हुए कहा कि भारत में भाई-बहन का रिश्ता भले ही एक दूसरे पर निर्भर न हो, लेकिन यह उम्मीद की जाती है कि जरूरत के समय एक दूसरे को एक अकेला नहीं छोड़ेंगे. भाई-बहन के रिश्ते में एक-दूसरे के लिए देखभाल के लिए गहरी संवेदना होती है. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने की है.
यह टिप्पणी हाई कोर्ट ने भरण-पोषण के लिए छः हजार रुपए देने के परिवारिक न्यायालय के आदेश के खिलाफ की पुनरीक्षण याचिका पर निचार करने के बाद की है. अदालत के अनुसार तलाकशुदा बहन भले ही अपने पति से भरण-पोषण के लिए दावा कर सकती है. वहीं साथ ही वह अपने भाई से विशेष अवसरों पर कुछ पैसे खर्च करने की उम्मीद रख सकती है.
हर बेटा अपने मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बने
बेंच का कहना है कि पति पर दूसरी शादी से हुए बच्चे के साथ 79 वर्षीय पिता व एक तलाकशुदा बहन की जिम्मेदारी है. ऐसे में इन परिस्थितियों को देखते हुए यह तय किया जाना चाहिए कि हर बेटा अपने मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बने. बेंच ने इसी टिप्पणी के साथ प्रतिवादी आदमी की कुल आय सभी पक्षों में बराबर बांटते हुए महिला के खरेच के लिए पैसे छः हजार बढ़ा कर साढ़े सात हजार करने का आदेश दिया.
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