दिल्ली (Delhi) में अब रेंट कंट्रोलर मकान मालिक को किराएदार परिसर की मरम्मत के लिए नहीं कह सकेगा. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने इसे लेकर अपना फैसला दिया है. कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट, 1958 (Delhi Rent Control Act) के तहत दिया. हाईकोर्ट ने पाया कि (DRC) एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत रेंट कंट्रोलर ऐसा कर सकते हैं. कोर्ट ने यह बात राष्ट्रीय राजधानी के सदर बाजार में एक किरायेदार और एक दुकान के मालिक के बीच विवाद की सुनवाई करते हुई कही.


क्या था मामला
अंग्रेजी अखबार द हिंदू कि खबर के मुताबिक, इस किरायेदार ने एक स्थानीय सिविल कोर्ट से अपने मकान मालिक को अपनी दुकान की छत की मरम्मत के लिए कहने की मांग की थी क्योंकि उसकी छत से पानी रिस रहा था. शिकायतकर्ता की इस याचिका का मकान मालिक ने विरोध किया था. उसने कहा था कि डीआरसी अधिनियम के तहत ऐसी याचिका की सुनवाई केवल रेंट कंट्रोलर के सामने ही हो सकती है. 


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किराएदार चला गया हाईकोर्ट
26 मई को सिविल कोर्ट ने मकान मालिक की याचिका को खारिज कर दिया था जिसके बाद वह इस मामले को लेकर वह हाईकोर्ट चला गया और वहां इसे चुनौती दी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह यहां सुनवाई के लायक नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाए. मकान मालिक का तर्क था कि डीआरसी अधिनियम की धारा 50 इस तरह के मामलों की सिविल कोर्ट में सुनवाई को रोकती है.


इस केस में कह सकता है
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, अगर किरायेदार के कहने के बाद भी मकान मालिक परिसर की मरम्मत नहीं करता है तो डीआरसी अधिनियम के तहत नियुक्त किया गया रेंट कंट्रोलर किरायेदार को मरम्मत करने की अनुमति दे सकता है. इसमें खर्चा किराया में से लिया जा सकता है.


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