New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने शादी के बहाने एक महिला पर यौन हमला करने और उसका गर्भपात कराने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है. अदालत ने जमातन याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी ने कभी भी शादी की नीयत नहीं दिखाई और महिला को गलतफहमी में रखा. हाई कोर्ट ने कहा कि वैसे तो आरोपी के वकील ने कहा है कि आपसी मिजाज में अंतर के चलते उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया, लेकिन तथ्य यह बताते हैं कि उसने शादी की दिशा में कभी कदम उठाने की चेष्टा ही नहीं की.


अदालत ने क्या कहा


न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, ''बल्कि तथ्य तो यह दर्शाते हैं कि वह आपसी संबंध खराब होने तक शादी से कन्नी काटता रहा, उसने उसका गर्भपात करा दिया. उसने हमेशा पीड़िता को इस गलतफहमी में रखा कि वह उससे शादी करेगा जबकि उसने उससे ब्याह करने की कभी नीयत नहीं दिखायी.'' न्यायमूर्ति खन्ना ने 22 नवंबर को जारी अपने आदेश में कहा, ''इस व्यक्ति के विरूद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, ऐसे में याचिकाकर्ता (आरोपी) को अग्रिम जमानत देने का मामला ही नहीं बनता है. यह याचिका खारिज की जाती है.''


महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस व्यक्ति ने शादी के बहाने उसका शारीरिक शोषण किया और जब उसने ऐतराज किया तो उसने वादा किया कि वह उससे शादी करेगा. शिकायत में कहा गया है, ''इस वादे के साथ इस व्यक्ति ने कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. इससे वह गर्भवती हो गई.'' शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने (आरोपी) उसे कुछ गोलियां दीं जिससे उसका गर्भपात हो गया.


सरकारी वकील ने क्या दलील दी


अतिरिक्त सरकारी वकील अमित साहनी ने आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पीड़िता ने उसे एक सीडी सौंपी है, जिसमें फोन पर आरोपी द्वारा दी गई धमकियों की रिकार्डिंग है. उन्होंने कहा कि चूंकि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा था, इसलिए उसके विरूद्ध गैर जमानत वारंट जारी किए गए. आरोपी व्यक्ति ने अग्रिम जमानत के लिए एक निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दी गई थी. इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट के समक्ष आया.


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