(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi: हाई कोर्ट ने दिल्ली में 10 हजार पेड़ लगाने का दिया निर्देश, छह महीने में देनी होगी रिपोर्ट
Delhi High Court: हाई कोर्ट के 70 लाख पेड़ लगाने के आदेश को पूरा करने के लिए, सभी कोर्ट कमिश्नर को कम से कम 25 सौ पेड़ लगाने का काम सौंपा गया है. इसकी देखरेख के जिम्मेदारी डीसीएफ अधिकारियों की होगी.
Delhi News: यह देखते हुए कि पूरे वर्ष शहर को प्रभावित करने वाले प्रदूषण को अवशोषित करके पेड़ 'कार्बन संप' के रूप में कार्य करते हैं, दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय राजधानी में 10 हजार पेड़ लगाने का निर्देश दिया. जिसमें 70 लाख रुपये से अधिक का उपयोग किया गया. चूककर्ता वादकारियों (Defaulting litigant) द्वारा विभिन्न मामलों में लागत के रूप में जमा करा दिया गया है. न्यायमूर्ति नजमी वजीरी (Justice Nazmi Waziri) ने कहा, अदालत में लगभग 80 लाख रुपये जमा किए गए थे, जो अवमानना और रिट याचिकाओं आदि के मामले में चूक करने वाले वादियों पर लगाए गए थे. इन पैसों का उपयोग व्यापक सार्वजनिक भलाई के लिए किया जाना है.
अदालत ने कहा कि अदालत में जमा धन का उपयोग अधिक से अधिक सार्वजनिक भलाई के लिए किया जाना चाहिए, पौधरोपण अभियान के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने के लिए चार वकीलों- शादान फरासत, आविष्कार सिंघवी, तुषार सन्नू और आदित्य एन प्रसाद को अदालत आयुक्त के रूप में नियुक्त किया. न्यायाधीश ने पाया कि पेड़ न केवल प्रदूषण को अवशोषित करके, बल्कि शहर की सुंदरता और अनुग्रह को बढ़ाकर शहर और इसके निवासियों को कई लाभ प्रदान करते हैं.
सभी कोर्ट कमिश्नर को लगाने होंगे 25 सौ पेड़
अदालत ने आदेश दिया कि धनराशि उप वन संरक्षक (डीसीएफ), जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाए, जो लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सहायता से निर्दिष्ट क्षेत्रों में पौधरोपण की निगरानी करेंगे. प्रत्येक कोर्ट कमिश्नर को कम से कम 25 सौ पेड़ लगाने का काम सौंपा गया है, जिसमें नर्सरी की उम्र कम से कम तीन साल और न्यूनतम ट्रंक की ऊंचाई 10 फीट है. न्यायाधीश ने कहा कि आवंटित धन का उपयोग करते हुए कुल 10 हजार पेड़ लगाए जाने चाहिए. अदालत ने मिट्टी के प्रकार और स्थलाकृति के आधार पर पिलखान, पापड़ी, कचनार, गूलर, कला सिरिस या सफेद सिरिस, जामुन, अमलतास, कदम्ब और बाध सहित कई पेड़ प्रजातियों का सुझाव दिया.
हर 6 महीने में डीसीएफ अधिकारियों देनी होगी को रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि भूमि- स्वामी एजेंसी इसके लिए जिम्मेदार होगी. पौधरोपण डीसीएफ की देखरेख में होगा. न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी पेड़ के टूटने या क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में भू-स्वामी एजेंसी को तुरंत पेड़ अधिकारी के मार्गदर्शन में स्थिति का समाधान करना चाहिए और अदालत के आयुक्तों को तस्वीरों के माध्यम से सूचित करना चाहिए. अदालत ने पुलिस को पौधरोपण प्रक्रिया में डीसीएफ और अदालत आयुक्तों की सहायता करने के लिए भी कहा. इसके अलावा, अदालत ने डीसीएफ से हर छह महीने में अभियान की स्थिति रिपोर्ट मांगी और मामले को अगली सुनवाई के लिए 7 जुलाई को सूचीबद्ध किया.
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