Delhi High Court News: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार (Central Government) को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने, धनशोधन, मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े मामलों में दोषियों को उम्रकैद की सजा देने तथा 100 फीसदी काला धन और बेनामी संपत्ति जब्त करने की व्यवहार्यता का पता लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
अदालत ने कहा कि संबंधित याचिकाकर्ता द्वारा इसी तरह की एक याचिका उच्चतम न्यायालय में भी पहले दाखिल की गई थी, जिसने उसे इस मुद्दे पर विधि आयोग को एक प्रतिवेदन सौंपने की अनुमति दी थी.
चीफ जस्टिस ने कही बड़ी बात
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत से याचिका वापस लिये जाने के बाद उच्च न्यायालय का इस पर सुनवाई करना उचित नहीं है. पीठ ने कहा, “अगर सर्वोच्च अदालत ने कहा होता कि आप उच्च न्यायालय का रुख करें तो हम आपकी बात सुन लेते. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का एक विशेष आदेश है कि आप विधि आयोग के पास जाएं.”
जब याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अदालत से इस याचिका को उनकी पिछली एक याचिका के साथ संलग्न करने का आग्रह किया तो पीठ ने यह कहते हुए इसे अस्वीकार कर दिया, “नहीं, हमें खेद है.” इसके बाद उपाध्याय ने यह कहते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी कि वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
पीठ ने कहा, “रिट याचिका वापस लिये जाने के मद्देनजर इसे खारिज किया जाता है.” याचिका में विकसित देशों में रिश्वतखोरी, काला धन, बेनामी संपत्ति, कर चोरी, आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने, धनशोधन, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, मिलावट, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और कालाबाजारी से जुड़े कड़े भ्रष्टाचार-निरोधक कानूनों का अध्ययन करने तथा तीन महीने के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने या विधि आयोग को इस संबंध में निर्देश जारी करने की मांग की गई थी.
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