दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कोविड महामारी के बाद स्कूलों के पूर्ण रूप से फिर से खोलने के खिलाफ एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया है. यह जनहित याचिका दिल्ली में कोरोना महामारी के बाद दोबारा से पूर्ण रूप से स्कूलों के खोलने के खिलाफ थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा इस याचिका के डेटा में ऐसा कुछ नहीं था कि जिससे बच्चों के जीवन के अधिकार को खतरा हो. 


चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को लेकर कहा कि एक संतुलन बनाना होगा क्योंकि बच्चों के स्कूल नहीं जाने से अधिक नुकसान हो रहा है. न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ के वकील आनंद कुमार पांडे की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि किसी विशेषज्ञ की राय के अभाव में केवल याचिकाकर्ता की आशंका के आधार पर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है.


हाई कोर्ट में अधिवक्ता आनंद कुमार पांडे द्वारा दायर एक याचिका में दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह स्कूल जाने वाले सभी बच्चों का टीकाकरण होने तक 100 प्रतिशत तक कक्षाएं फिर से शुरू करने का निर्देश दे.


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 इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश भी मांगा गया था कि स्कूल माता-पिता को यह विकल्प दें कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं या नहीं क्योंकि असंक्रमित बच्चों में वायरस का बड़ा जोखिम होता है. इस बात पर जस्टिंस सांघी ने कहा कि किसी विशेषज्ञ की तरफ से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है जिसमें बताया गया हो कि बच्चे वायरस की चपेट में अधिक आते हैं.