Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को राष्ट्रीय राजधानी में लागू करने की याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में कहा गया था कि कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों से निपटने के वास्ते लोकायुक्त संस्थान की स्थापना के लिए संबंधित प्रावधान लागू करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
'याचिका में दम नहीं'
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा कि यह अदालत का काम नहीं है कि वह विधायिका को याचिकाकर्ता की इच्छा के अनुसार कानून बनाने या संशोधित करने का निर्देश दे. कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई दम नहीं है.
दिल्ली में लागू करने का किया था आग्रह
पीठ ने कहा कि 2013 के अधिनियम के अनुसार हर राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति की आवश्यकता है और दिल्ली लोकायुक्त और उपलोकायुक्त अधिनियम, 1995 के तहत दिल्ली में भी ऐसा ही किया गया है. अदालत गैर सरकारी संगठन ‘हेल्प इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली सरकार को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को राष्ट्रीय राजधानी में लागू करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
'दायरे में आते हैं सिर्फ दिल्ली के नेता'
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में लागू लोकायुक्त और उपलोकायुक्त अधिनियम, 1995 के दायरे में केवल दिल्ली के राजनीतिक नेता आते हैं और इसके दायरे में दिल्ली सरकार और अन्य निकायों के अधिकारी तथा कर्मचारी नहीं आते. इसमें कहा गया कि इसलिए दिल्ली में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के क्रियान्वयन का निर्देश दिया जाना चाहिए.
संबंधित याचिका में कहा गया था कि 2013 के अधिनियम के प्रभाव में आने और उक्त अधिनियम की धारा 63 संबंधी अधिदेश के बावजूद दिल्ली सरकार ने लोकायुक्त संस्थान स्थापित करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने सूचित किया कि झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति हरीश चंद्र मिश्रा को दिल्ली का लोकायुक्त नियुक्त किया गया है और उन्होंने 23 मार्च को पदभार ग्रहण कर लिया था.
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