Delhi News: प्रतिबंधित संगठन PFI के तीन सदस्यों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानद दे दी. हाई कोर्ट ने कहा भविष्य में अपराध को अंजाम देने के लिए अवैध पैसा इकट्ठा करना मनी लॉन्ड्रिंग नहीं है. पीएफआई दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद, पीएफआई दिल्ली के महासचिव मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत को जमानत दी गई है.


हाई कोर्ट ने तीनों आरोपियों को जमानत देते हुए कहा कि भविष्य में किसी अपराध को अंजाम देने के लिए अवैध तरीके से धन को इकट्ठा करना 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग' एक्ट के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि 'अपराध की आय' कथित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप अर्जित होनी चाहिए. इसलिए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध नहीं बनता है.


ईडी ने लगाए थे ये आरोप


इस मामले में ईडी का आरोप था कि आरोपी, पीएफआई की ओर से अज्ञात सोर्सेज से पैसा इकट्ठा करते थे और इसके बदले में बाकायदा फर्जी रसीदें भी दिया करते थे. इसके बाद इकट्ठा किए गए पैसों को डोनेशन के रूप में दिखाते थे ताकि पैसों का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जा सके.


जमानत देते हुए जस्टिस जसमीत सिंह की एकल बेंच ने कहा कि ये मामला अभी दस्तावेजों की आपूर्ति की कार्रवाई के चरण में है और उसके बाद मामले में आरोप तय होना बाकी है. जस्टिस सिंह ने ये भी कहा कि विशेष कानूनों में जमानत देने के लिए कठोर शर्तें जरूर हैं, लेकिन इसको आधार बनाकर आरोपियों को हिरासत में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि मामले के जल्द निपटारे की अभी संभावना नहीं है.


जेल से नहीं आ पाएंगे बाहर


दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएफआई के सभी तीन सदस्यों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के एक जमानती पर जमानत दे दिया है. हालांकि, ज़मानत मिलने के बाद भी पीएफआई दिल्ली के अध्यक्ष परवेज अहमद, पीएफआई दिल्ली के महासचिव मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे क्योंकि तीनों ही UAPA के मामले में भी जेल में बंद हैं.


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