DUSU Elections 2024: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को होने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव की मतगणना पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि जब तक कि सार्वजनिक संपत्तियों को दुरुस्त नहीं किया जाता, तब तक काउंटिंग नहीं की जाए.
इससे पहले बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को बिगाड़ने पर नाराजगी जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि कुलपति को पोस्टर-बैनर हटाये जाने तक चुनाव रद्द करने या स्थगित करने जैसे सख्त कदम उठाने चाहिए.
मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया प्रतीत होता है कि उम्मीदवारों द्वारा करोड़ों रुपये व्यय किए गए हैं. अदालत ने मौखिक रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति को मामले में हस्तक्षेप करने और सख्त कार्रवाई करने को कहा.
कोर्ट ने ये भी कहा कि शिक्षास्थल पर लोग 'निरक्षर की तरह व्यवहार' कर रहे हैं. खंडपीठ ने कहा कि चुनाव प्रणाली युवाओं को भ्रष्ट करने के लिए नहीं है. खंडपीठ ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को 27 सितंबर को होने वाले मतदान को स्थगित कर देना चाहिए या उम्मीदवारों को अयोग्य करार देकर नये सिरे से नामांकन कराना चाहिए या मतदान कराने की अनुमति देकर नतीजे तबतक घोषित नहीं करने चाहिए जबतक संपत्तियों को विरूपति करने वाले पोस्टर-बैनर न हटा दिये जाते.
पीठ ने कहा, "देखिए कितना विरूपण हुआ है. कुलपति को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और अगर इसके लिए चुनाव रद्द करने की जरूरत पड़े तो वह भी करना चाहिए. जितना पैसा खर्च हुआ है, उसे बेकार जाने दें. जिनके भी पोस्टर लगे हैं उन्हें बिल भेजें."
सार्वजनिक संपत्तियों को विरूपित करने की तस्वीरों को देखने के बाद खंडपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि डूसू चुनाव में स्थिति आम चुनाव से भी बदतर है। अदालत ने टिप्पणी की, "चुनाव लोकतंत्र का उत्सव है, न कि धन शोधन का. यह भ्रष्टाचार है. अगर विद्यार्थी इस स्तर पर भ्रष्ट हो गए तो इसका कोई अंत नहीं है."
खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, "इस चुनाव में लोगों के पास बहुत पैसा है. यह लोकतंत्र का उत्सव है, धनशोधन का नहीं. यह जो हो रहा है वह धनशोधन है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं."
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