Delhi Working Hours: वर्किंग आवर्स पर दिल्ली हाईकोर्ट की जज बोलीं- 'जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं'
Delhi Working Hours News: दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस पूनम ए बांबा ने विदाई समारोह कार्यक्रम में कहा कि जब न्यायाधीश अपना रौब झाड़ते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उनकी भूमिका समाप्त हो गई है.
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Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की जस्टिस पूनम ए बंबा (Judge Punam A Bamba) ने गुरुवार को गुरुवार को अपने विदाई भाषण में बड़ी बात कही. उन्होंने न्यायाधीशों के काम के घंटों यानी वर्किंग आवर्स का जिक्र करते हुए कहा कि यह अक्सर उनके निजी जीवन तक पहुंच जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन-कार्य में संतुलन की कमी हो जाती है. न्यायाधीश कोर्ट में लंबे समय तक काम करते हैं और यहां तक कि काम को घर भी ले जाते हैं, जिससे कार्य-जीवन में बहुत कम संतुलन रह जाता है.
जस्टिस पूनम ए बंबा ने कहा किए “मुझे फिल्म 'आनंद' से राजेश खन्ना का एक बहुत प्रसिद्ध संवाद याद आ रहा है, 'बाबूमोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं' इसलिए मैं कह सकती हूं कि दिल्ली हाईकोर्ट में मेरी यात्रा छोटी रही, पर बहुत महत्वपूर्ण रही है. अगर लंबे कार्यकाल की वैध अपेक्षा पूरी होती है, तो इसका हमेशा स्वागत है.”
जस्टिस जब रौब झाड़ें तो समझिए उनकी भूमिका समाप्त
विदाई समारोह के दौरान उन्होंने न्यायाधीशों और अभिनेताओं के बीच समानता दिखाते हुए कहा कि लबादा लटकाना भूमिका के अंत का प्रतीक है. उन्होंने कहा, “जब भी कोई अभिनेता अपनी पोशाक लटकाता है, तो वह जानता है कि भूमिका समाप्त हो गई है. जजों के लिए भी यही बात है. जब न्यायाधीश अपना रौब झाड़ते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उनकी भूमिका समाप्त हो गई है.”
काम के लिहाज से वर्किंग प्लेस आसान होना बेहतर
उन्होंने बताया कि उनकी रुचि विज्ञान की पढ़ाई में ज्यादा थी, अपने पिता के आग्रह पर कानून को अपनाया और अंततः अपने न्यायिक करियर में सफलता पाई. जिला न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 'अपने सहयोगी मंच को जानें' और 'खुशी समिति' की शुरुआत की, जिसे न्यायिक अधिकारियों के बीच खूब सराहा गया. उन्होंने कहा, “मैं हमेशा जुनून से प्रेरित रही हूं. शासन और प्रशासन के प्रति मेरा दृष्टिकोण हमेशा मानव-केंद्रित रहा है. मैंने प्रत्येक न्यायिक अधिकारी पर पहले एक व्यक्ति के रूप में ध्यान केंद्रित किया और बाद में न्यायाधीश पर. मेरी कोशिश कार्यस्थल को थोड़ा आसान और थोड़ा आरामदेह बनाने की रही है.'' बत दें कि न्यायमूर्ति पूनम को पिछले साल 28 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था.
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