Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि जातीय, धार्मिक, नस्ल या भाषाई अर्थ वाले नामों और तिरंगे से मिलते-जुलते झंडों वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग वाली याचिका में उठाए गए मुद्दे पर संसद को फैसला करना होगा क्योंकि यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी.


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा, “ये नीतिगत मुद्दे हैं और इन पर फैसला संसद द्वारा किया जाना चाहिए. हम कानून नहीं बनाते...अगर हम इसपर फैसला करते हैं, तो यह नीति क्षेत्र में हस्तक्षेप होगा...संसद इस पर फैसला करेगी. यह उसका अधिकार क्षेत्र है.”


'जातिबल और सांप्रदायिकता से भी मुक्त होने चाहिए'
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कहा कि व्यक्ति धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते, लेकिन धार्मिक अर्थों का उपयोग करके राजनीतिक दल बनाए जा सकते हैं, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह सकता कि मैं हिंदू हूं, कृपया मुझे वोट दें. लेकिन हिंदू समाज पार्टी के नाम से राजनीतिक दल बनाया जा सकता है. यही मुद्दा है. चुनाव न केवल धनबल से बल्कि जातिबल और सांप्रदायिकता से भी मुक्त होने चाहिए.''


सुनवाई सात मई, 2024 को की जाएगी
इस पर पीठ ने जवाब दिया, ''आप इन दलों के नामों के बारे में बात कर रहे हैं. नाम से फैसला नहीं होता. आपको राजनीतिक दलों की नीतियां देखनी होंगी. आपको देखना होगा कि वे कैसे काम कर रहे हैं, लेकिन इन सभी मुद्दों पर संसद को विचार करना होगा. यह उनका अधिकार क्षेत्र है. वह कानून बनाते हैं, हम नहीं.” पीठ ने कहा, “लोग सिर्फ राजनीतिक दलों के नाम के आधार पर मतदान नहीं करते और उनकी नीतियों को देखने की जरूरत है. कानून और न्याय मंत्रालय के माध्यम से केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि वह याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करना चाहते हैं. पीठ ने कहा कि मामले पर सुनवाई सात मई, 2024 को की जाएगी.


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