दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को एक आदेश लागू न करने पर आड़े हाथ ले लिया है. अदालत ने केजरीवाल सरकार से दिल्ली के निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम में कार्यरत हजारों नर्सों को सरकारी के बराबर वेतन-भत्ता देने का आदेश लागू करने को कहा था लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. इस बात पर हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई से पहले इसे लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को आदेश दिया है. इसके साथ ही जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यदि इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो दिल्ली सरकार को यह भी बताना होगा कि क्यों न अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए.


दिल्ली हाई कोर्ट ने का यह निर्देश अधिवक्ता अमित जॉर्ज के माध्यम से नर्सों की अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करने के बाद आया है. इस याचिका में दावा किया गया था कि दिल्ली सरकार ने 25 जून 2018 के अपने परिपत्र को लागू नहीं किया है, जिसमें उसने निजी अस्पतालों को सरकारी नर्सों के समान वेतन और भत्ते देने का आदेश दिया था. इसके बाद इस मामले में न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 19 अगस्त को एक नया हलफनामा दायर किया है जिसमें कहा गया है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है. 


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कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार की राय है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं हैं, तो यह इसके लिए वह इस पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए खंडपीठ से संपर्क करें. बता दें कि भारत के प्रशिक्षित नर्स संघ के मामले में साल 2016 के सु्प्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने 50 बिस्तरों से कम वाले अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों के लिए न्यूनतम वेतन 20,000 की सिफारिश की थी. इसमें कहा गया है कि निजी अस्पतालों में काम करने वाली नर्सों की स्थिति सरकारी अस्पतालों की नर्सों के समान होनी चाहिए.


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