Delhi Ration Scheme: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- राशन लेने के लिए कतार में लगना निजता के अधिकार के खिलाफ नहीं
Delhi Ration News: हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार की मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि दुकानों से राशन लेने के लिए कतार में खड़ा होना गरिमा के खिलाफ नहीं है.
Delhi Ration Scheme: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि उचित मूल्य की दुकानों से राशन लेने के लिए कतार में खड़ा होना गरिमा और निजता के अधिकार के खिलाफ नहीं है और अगर एक ही समय में कई लोग एक दुकान पर आते हैं तो कतार में लगना स्वाभाविक है. दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार की राजधानी में घर-घर राशन पहुंचाने की ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ को रद्द करते हुए बृहस्पतिवार को यह टिप्पणी की.
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि लाभार्थियों को अपने आवंटित राशन को लेने के लिए कतार में लगना उनके सम्मान और निजता के अधिकार का उल्लंघन है. न्यायालय ने कहा कि यदि कतार में नहीं खड़े होने को नागरिकों का अधिकार मान लिया गया तो इससे समाज में नियम कायदों का कोई अर्थ नहीं रहेगा तथा इससे अन्य लोगों के अधिकारों का भी उल्लंघन होगा.
उपराज्यपाल ने भी नहीं दी मंजूरी
गैर-सरकारी संगठन बंधु मुक्ति मोर्चा ने अपनी याचिका में ‘घर-घर राशन वितरण योजना’ को लागू करने की मांग करते हुए तर्क दिया था कि एक व्यक्ति को राशन की दुकान पर एक कतार में खड़े होने की आवश्यकता होती है और कानून के मुताबिक इससे उस व्यक्ति के सम्मान और निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है. अदालत ने कहा कि घर-घर राशन वितरण योजना को उसके वर्तमान स्वरूप में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे उपराज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी है.
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद और उपराज्यपाल के बीच मतभेद होता है, तो अंतिम निर्णय राष्ट्रपति के पास होगा और वह दोनों पर ही बाध्यकारी होगा. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उपराज्यपाल से सामान्य रूप से उन मामलों के संबंध में अपने मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने की अपेक्षा की जाती है, जिन पर विधानसभा कानून बना सकती है.