Delhi News: भारत में डीपसीक ( DeepSeek) को ब्लॉक करने की मांग वाली दाखिल जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में कहा अगर किसी को चीनी AI प्लेटफॉर्म से खतरा है तो उपयोगकर्ताओं के पास इसके इस्तेमाल न करने का विकल्प भी है.
दिल्ली हाई कोर्ट में यह भी कहा कि अगर यह इतना खतरनाक है तो आपको इसको उपयोग के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है फिलहाल इस मामले में अभी तत्काल सुनवाई करने का कोई आधार नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी और यह मांग की गई थी भारत में डीपसीक को ब्लॉक किया जाए. याचिका में दावा किया गया है कि इसके लॉन्च होने के एक महीने के भीतर ही, डीपसीक में कई कमजोरियां पाई गईं, जिससे 10 लाख से अधिक संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा ऑनलाइन लीक हो गए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था, हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में समय की कमी के कारण जवाब दाखिल नहीं किया गया, इसको लेकर आप दिल्ली हाई कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा. अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी के भी हाथ में एक खतरनाक उपकरण हो सकता है फिर चाहे वह अमेरिकी हो या फिर चीनी.
याचिका में कही गईं अहम बातें
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि चीनी संस्थाओं द्वारा विकसित डीपसीक गैरकानूनी संचालन में शामिल है. दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में वकील भावना शर्मा ने कहा कि कई देशों ने डीपसीक की गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंता जताई और इसके मद्दे नजर इटली के डेटा संरक्षण प्राधिकरण गारंटे ने गोपिन नेता कानून का गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए डीपसीक पर बैन लगा दिया है.
कई देशों ने लगाया है बैन
डीपसीक की सुरक्षा जोखिमों मद्देनजर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भी सभी सरकारी उपकरणों पर इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. वहीं इसी मामले में आयरलैंड, बेल्जियम, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, अमेरिका और फ्रांस में डेटा नियामक डीपसीक के संचालन की जांच कर रहे हैं.
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