Delhi Latest News: दिल्ली नगर निगम के सिद्धार्थनगर से पार्षद सोनाली ने फंड के अभाव में लोगों का काम न करा पाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याची ने हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वो सरकार को निर्देश दे कि जनहित में काम कराने के लिए पार्षदा का फंड एक करोड़ रुपये से 15 करोड़ रुपये कर दे.
दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को पार्षद सोनाली की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि एमसीडी पार्षदों को आवंटित धनराशि को 1 करोड़ रूपए से बढ़ाकर 15 करोड़ रूपए के मसले पर अदालत सुनवाई कैसे कर सकती है?
बजट का अभाव जिम्मेदारी पूरा करने में बाधा
दरअसल, दिल्ली के सिद्धार्थनगर से निर्वाचित पार्षद सोनाली ने अपनी याचिका में कहा गया था कि MCD पार्षदों के लिए अपर्याप्त निधि उनके वैधानिक कर्तव्यों को निभाने के लिए बाधा बन रही है. याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने तर्क दिया था कि यह हाल उस समय है जबकि पार्षद फंड का इस्तेमाल कई कल्याणकारी गतिविधियों जैसे सड़क मरम्मत, पार्कों, स्कूलों के रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जाना है.
स्टैंडिंग कमेटी के सामने उठाएं ये मुद्दा
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने याचिकाकर्ता को MCD सदन और स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की सलाह देते याचिका का निपटारा कर दिया.
फंड का अभाव मौलिक अधिकारों के लिए खतरा
इस मामले का निपटारा करते हुए बेंच ने मौखिक रूप से कहा कि हम खुद हाई कोर्ट के लिए पैसे जुटाने के लिए संघर्ष कर रहें हैं. ऐसे में हम आपको फंड को बढ़ाने के लिए निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं? इस याचिका में दिल्ली सरकार और MCD को दिल्ली नगर निगम के निर्वाचित पार्षदों को पर्याप्त फंड आवंटित करने में कथित विफलता के लिए भी निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिका में ये भी कहा गया है कि दिल्ली में बिगड़ते हालात नागरिकों के मौलिक अधिकारों के लिए खतरा पैदा कर रहें हैं. खासकर विधायकों को सालाना 15 करोड़ रूपए मिलते हैं. जबकि MCD के पार्षदों को एक करोड़ रूपए ही आवंटित किए जाते हैं.
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