एक कंपनी में रहते हुआ प्यार, लुटाए पैसे... फिर शादी से पलटा लड़का, अब दिल्ली HC में हुआ ये फैसला
Delhi High Court News: कोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और जांच जारी रखने का निर्देश दिया. साथ ही एफआईआर को रद्द करने करने से भी इनकार कर दिया.

Delhi High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने रिश्तों में महिला की उम्र को लेकर चली आ रही सामाजिक धारणाओं को आड़े हाथों लेते हुए अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि किसी महिला को सिर्फ इसलिए शादी से जुड़ी कठिनाइयों का पूर्वानुमान लगाने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती क्योंकि वह अपने साथी से उम्र में बड़ी है. कोर्ट ने इसे पितृसत्तात्मक और महिला विरोधी सोच बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई.
जस्टिस स्वर्णा कांता शर्मा की बेंच ने इस अहम फैसले में रेप के आरोपों से जुड़े एक मामले में आरोपी पुरुष की याचिका खारिज कर दी. आरोपी ने उस महिला द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी जिसमें महिला ने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा, "यह तर्क कि एक महिला को उम्र में बड़ी होने के कारण शादी में आने वाली रुकावटों का पूर्वानुमान करना चाहिए न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. किसी भी रिश्ते में महिला का भरोसा और पुरुष के आश्वासन का सम्मान किया जाना जरूरी है. वादे से मुकरने का प्रभाव गंभीर होता है."
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस मामले में आरोप है कि दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे और 2018 से 2021 के बीच उनके बीच करीबी संबंध बने. महिला का दावा है कि पुरुष ने शादी का वादा किया, अन्य रिश्तों से इनकार करने को कहा और आर्थिक मदद भी ली. लेकिन बाद में वह अपने वादे से पीछे हट गया. 2021 में महिला ने आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. दिल्ली पुलिस में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आरोपी ने महिला के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए जिसमें अप्राकृतिक यौन संबंध भी शामिल हैं.
आरोपी की दलीलें को कोर्ट ने की खारिज
आरोपी के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील देते हुए कहा कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से थे और उम्र, आर्थिक स्थिति व पारिवारिक विरोध जैसे कारणों से शादी संभव नहीं थी. लेकिन अदालत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा किसी भी महिला को इस आधार पर अतिरिक्त जिम्मेदारी देना कि वह अपने साथी से उम्र में बड़ी है, कानूनन सही नहीं है. यह सोच न केवल महिला की गरिमा पर हमला करती है बल्कि उसे एक असमान और अनुचित स्थिति में खड़ा कर देती है.
कोर्ट का एफआईआर रद्द करने से इनकार
कोर्ट ने साफ कहा कि प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत हैं और आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. ऐसे में इस स्तर पर एफआईआर को रद्द करने का कोई आधार नहीं है. अदालत ने आरोपी की याचिका खारिज कर दी और जांच जारी रखने का निर्देश दिया.
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