(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
दिल्ली HC में चिराग पासवान के बतौर सांसद चुनाव को चुनौती, कोर्ट ने क्या कहा?
Delhi High Court: याचिका में कहा गया है कि गलत हलफनामा दायर करना या आपराधिक मामलों के संबंध में हलफनामे में कोई भी जानकारी छिपाना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है.
Delhi High Court On Chirag Paswan: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (2 जून) को एलजेपी (R) के अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवास के खिलाफ दायर एक याचिका को वापस लेने के लिए कहा है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के चुनाव को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए. इस मुद्दे पर एक चुनाव याचिका 28 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्टेड है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, ''इस हाईकोर्ट में यह मामला कैसे सुनवाई योग्य है? यह निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य में है''. जस्टिस विकास महाजन ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ''बेहतर होगा कि आप (याचिका) वापस ले लें और क्षेत्राधिकार वाले हाईकोर्ट में जाएं.'' जज ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, इस अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं होगा.
चिराग पासवान के खिलाफ याचिका में क्या?
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि वह प्रिंस राज और उनके सहयोगियों, जिनमें उनके चचेरे भाई पासवान भी शामिल थे, के आग्रह पर कथित यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थीं. इन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करते समय इस आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं किया था. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में यहां 2021 में पहले ही एक एफआईआर दर्ज की गई थी.
याचिका में ये भी कहा गया है कि गलत हलफनामा दायर करना या आपराधिक मामलों के संबंध में हलफनामे में कोई भी जानकारी छिपाना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है और छह महीने की कैद से दंडनीय है.
चुनाव आयोग के वकील ने क्या कहा?
चुनाव आयोग (EC) के वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि चुनाव याचिका लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के संदर्भ में सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि चुनाव बिहार में हुआ था. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा इस मामले में पेश हुए. केंद्र की ओर से आगे तर्क दिया गया कि कानून के तहत, केवल निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता या उम्मीदवार ही चुनाव में चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकता है और याचिकाकर्ता किसी भी श्रेणी में नहीं आता है.
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई की अगली तारीख पर याचिका से निपटने के लिए अदालत के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए अदालत से समय मांगा.
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