दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुए कहा कि व्यभिचार के इक्का-दुक्का मामलों के चलते पति अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकता है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा कि पत्नी द्वारा लगातार और बार-बार व्यभिचार के कृत्य करने पर ही पति द्वारा गुजारा भत्ता के भुगतान से कानूनी छूट प्राप्त हो सकती है. गुजारा भत्ता को लेकर एक पति ने निचली अदालत की तरफ से दिए गए आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती थी. इस आदेश पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अर पत्नी ने पति से अलग रहते हुए कभी-कभार व्यभिचार किया है, तो उसे नजरअंदाज किया जाएगा.
पति ने निचली आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि गुजारा भत्ता किसी भी आधार पर कायम नहीं है. क्योंकि जब पत्नी और पति अलग हैं तो उसका कोई मतलब नहीं है इसके साथ ही पति ने दलील देते हुए कहा कि पत्नी के अलग होने पर भी क्रूरता और व्यभिचार को भी आधार माना जाना चाहिए. हालांकि इन सभी दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
आदलत की तरफ से साफ कहा गया था कि गुजारा भत्ता का भुगतान नहीं करने के लिए क्रूरता और उत्पीड़न के आधार सही नहीं है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी लगातार व्यभिचार करती है तो सबूतों के आधार पर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उसका भरण-पोषण रोका जा सकता है. इस केस में पति को पहले ही निचली आदलत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत निर्देश देते हुए कहा था कि पत्नी को अगस्त 2020 से हर महीने 15 हजार रुपये दिए जाएं.