Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि देश में लड़कियों, महिलाओं और बच्चों को डराने-धमकाने वाले किसी भी व्यक्ति को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. दोषी को उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इनकार करते हुए टिप्पणी की. निचली अदालत ने 21 वर्षीय लड़की की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. लड़की ने प्रेम प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल एवं न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने जमानत की अर्जी खारिज करते हुये कहा, ‘‘हमलोग ऐसे समाज में नहीं रह सकते और नहीं रहेंगे जहां महिलाओं को दिन में भी घर से बाहर जाने में डर लगता है. हम उसे जमानत नहीं देने जा रहे हैं. कत्तई बर्दाश्त नहीं. देश में लड़की, महिला और बच्चे को धमकाने वाला कोई भी व्यक्ति कत्तई बर्दाश्त नहीं. ठीक है. कत्तई बर्दाश्त नहीं. हम उसे जमानत पर रिहा करने के इच्छुक नहीं हैं.’’
दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
अदालत ने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति जो इस तरह का शातिर है, जैसा निचली अदालत ने कहा है. हमने अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा है. इसके प्रभाव की कल्पना कीजिये. घटना 2011 में हुई थी और 11 साल बाद एक पल याद आता है. आप कल्पना कर सकते हैं कि घर से बाहर निकलने वाली हर लड़की को क्या सहना पड़ता है.’’ अदालत ने कहा कि चूंकि दोषी 11 साल से जेल में है, इसलिए उसकी सजा और सजा को चुनौती देने वाली अपील पर अदालत सुनवाई करेगी. इसके साथ ही अदालत ने मामले को 26 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
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छात्रा की गोली मारकर हत्या मामला
दोषी विजय सैनी ने आजीवन कारावास के फैसले को चुनौती देते हुये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. सैनी ने 2011 में दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा राधिका तंवर की हत्या की थी. तंवर को रामलाल आनंद कॉलेज के पास धौला कुआं में महिला दिवस पर आठ मार्च 2011 को पीछे से गोली मारी गयी थी. पुलिस के अनुसार सैनी तंवर का नियमित तौर पर पीछा करता था लेकिन ठुकराने पर उसने उसके सिर में गोली मार दी. मामले में तीन अन्य लोगों-तबरेज अहमद, शेख शेखू और अशरफ अली को भी दोषी करार दिया गया था.