Sharjeel Imam Case: दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगे के मामले में शरजील इमाम को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी सामने आई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि 2020 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के मामले में छात्र एक्टिविस्ट शरजील इमाम को जमानत नहीं देने का कोई उचित कारण नहीं था. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने आरोपों की व्यापकता से प्रभावित होकर उसे राहत देने से इनकार कर दिया था. 


न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने गिरफ्तारी के चार साल से अधिक समय बाद 29 मई को इमाम को जमानत दी थी. हाल में अपलोड किए गए पीठ के आदेश में कहा गया है कि "आरोपों के गंभीर होने मात्र से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436-ए के तहत जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता. इस मामले में हमें कोई उचित कारण नहीं मिला, जिसके कारण कोर्ट को राहत न देने के लिए बाध्य होना पड़ा."


क्या है आरोप?
बेंच ने कहा कि "अधीनस्थ कोर्ट ने आरोपों की व्यापकता को देखते हुए यह पाया कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके कारण दंगे हुए, इसलिए जमानत देने से इनकार कर दिया गया." वहीं अभियोजन पक्ष के अनुसार शरजील इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए, जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को देश से काटने की धमकी दी थी. 


इसी आरोप के आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मामला दर्ज किया. शुरुआत में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया और बाद में 2022 में निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 124 ए,  153 ए, 153 बी, 505  और धारा 13 के तहत आरोप तय किए थे. वह इस मामले में 28 जनवरी, 2020 से हिरासत में थे.



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