Delhi Government School: दिल्ली हाई कोर्ट ने यहां के सभी सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए सैनिटरी नैपकिन की सुविधा तत्काल बहाल करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से सोमवार को जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक सामाजिक कार्य का केवल अनुबंध नहीं होने के कारण बंद होना सही नहीं है.
सुविधा जनवरी 2021 से बंद
दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि इस सुविधा को जनवरी 2021 से बंद कर दिया गया था. गर्मियों की छुट्टी के बाद स्कूलों के फिर से खुलने के बाद इसके शुरू होने की संभावना है क्योंकि ताजा निविदा पहले ही निकाली जा चुकी है. जल्द ही इसके अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है. बेंच में जस्टिस सचिन दत्ता भी शामिल थे. बेंच ने सवाल किया कि अंतरिम व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में आखिर इस तरह के कदम को क्यों रोका जाना चाहिए? और कहा कि सरकार को हमेशा सरकारी ई-मार्केटप्लेस से अनुमोदित दरों पर सामान खरीदना होता है.
दिल्ली सरकार को नीति विकसित करनी चाहिए- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए जहां मौजूदा अनुबंध समय के साथ समाप्त हो जाते हैं. अदालत ने कहा, "केवल मौजदा अनुबंध की अनुपस्थिति ही इस तरह के सामाजिक कदम के बंद होने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं. बल्कि जब मौजूदा अनुबंध समय के साथ समाप्त हो जाते हैं, तो दिल्ली सरकार को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए."
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छात्राओं को हो रही परेशानी
एनजीओ 'सोशल ज्यूरिस्ट' की याचिका में दावा किया गया है कि जनवरी 2021 से शिक्षा निदेशालय (डीओई) दिल्ली के सरकारी स्कूलों की छात्राओं को किशोरी योजना के तहत सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध नहीं करा रहा है, जिससे उन्हें समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि डीओई ने किशोरी योजना को अपनाया, जिसके तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता और बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने और पढ़ाई में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सैनिटरी नैपकिन दिए किए जाने थे. याचिका में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए सैनिटरी नैपकिन की सुविधा की बहाली उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक है.
अगली सुनवाई छह जुलाई को
इसने दलील दी कि सैनिटरी नैपकिन की सुविधा प्रदान नहीं करने के लिए डीओई की ओर से जो कार्रवाई की गई वह तर्कहीन, अनुचित, मनमाना और छात्राओं की शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही संविधान के तहत दिए गए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार और दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है. मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी।
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