Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि वह पब्लिक स्कूलों में प्रधानाचार्यों और उप-प्राचार्यों सहित शिक्षकों की मौजूदा रिक्तियों की संख्या और पदों को भरने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी साझा करें. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की खंडपीठ ने सरकार से यह भी कहा कि वह एक समयसीमा प्रदान करे जिसके भीतर रिक्तियों को भरा जाएगा, और स्कूलों के बुनियादी ढांचे की कमी के संबंध में और इससे निपटने का प्रस्ताव कैसे किया जाए.


हजारों शिक्षकों के पद है खाली
दिल्ली हाईकोर्ट ने  यह आरोप लगाते हुए एक मामले में आदेश पारित किया कि विभिन्न विषयों में शिक्षकों के हजारों पद पिछले कई वर्षों से खाली पड़े हैं. याचिका में आरटीआई कानून से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 950 में से 755 और उप-प्राचार्य के 1670 पदों में से 418 पद खाली हैं.


हाईकोर्ट ने दायर इस याचिका में दिल्ली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ, दिल्ली सरकार यह दावा कर रही है कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल दिल्ली में सबसे अच्छे शिक्षा मॉडल में से एक है और साथ ही सरकारी स्कूलों में अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचा है, लेकिन जब शिक्षक की बहुत कमी है सरकारी स्कूलों में कर्मचारी, बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे मिल सकती है. याचिका में यह भी कहा गया है, यह बहुत बड़ा मजाक है कि एक तरफ शिक्षण स्टाफ की भारी कमी है और दूसरी तरफ, दिल्ली सरकार संयुक्त राष्ट्र में शिक्षा मॉडल डाल रही है.


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