Mughal Masjid Namaz Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने एएसआई और केंद्र से मांगा जवाब, बोर्ड की इस मांग पर जताई सहमति
Mughal Masjid News: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई 21 अगस्त से पहले करने का दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया था.
Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुगल मस्जिद में नमाज पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. दरअसल, दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति ने महरौली इलाके में मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने पर जारी रोक के खिलाफ अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई की अदालत से गुजारिश की थी. बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई 21 अगस्त से पहले करने का भी हाईकोर्ट से अनुरोध किया था.
इस मामले में दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से हाईकोर्ट में पेश वकील एम. सूफियान सिद्दीकी ने कहा था कि यह मामला काफी समय से लंबित है. सिद्दीकी ने तत्काल सुनवाई पर जोर देते हुए कहा कि लोग मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने का इंतजार कर रहे हैं. इस पर जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने इस मामले को अप्रैल के अंत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.
ये है दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा
बता दें कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने महरौली इलाके में स्थित मुगल मस्जिद में नमाज रोकने के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुनवाई की अपील की थी. याचिका में बोर्ड ने कहा है कि एएसआई के अधिकारियों ने बिना किसी नोटिस या आदेश जारी किए 13 मई 2022 से मुगल मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोक लगा रखी है. यह हर लिहाज से गैर-कानूनी और जल्दबाजी में लिया गया फैसला है. बोर्ड की याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि मस्जिद को संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल नहीं है. न ही संरक्षित स्मारकों का हिस्सा है. इतना ही नहीं 13 मई 2022 से पहले इसे नमाज के लिए कभी बंद नहीं किया गया.
इसके उलट एएसआई ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर दावा किया है कि मुगल मस्जिद कुतुब मीनार की सीमा के अंदर है. मस्जिद संरक्षित क्षेत्र में है, इसलिए नमाज की इजाजत नहीं दी जा सकती है. इससे पहले मुगल मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की अर्जी पर हाईकोर्ट ने समय से पहले सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि हाईकोई इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला दे.
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