Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को भारतीय रेलवे (Indian Railways) को यात्रियों को कथित दूषित पेयजल (Contaminated Drinking Water) की आपूर्ति और क्लोरीनेशन संयंत्र स्थापित करने के लिए दिए गए ठेकों में हेरफेर करने से संबंधित मामले में एक नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को याचिकाकर्ता के वकील द्वारा सूचित किया गया था कि रेलवे द्वारा अंतिम स्थिति रिपोर्ट अक्टूबर 2019 में दायर की गई  थी.


6 महीने के भीतर दाखिल करें रिपोर्ट


दिल्ली हाई कोर्ट ने रेलवे को 6 महीने के भीतर यानी 15 फरवरी 2023 तक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. बता दें कि कोर्ट सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नामक एनजीओ की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एनजीओ ने रेलवे यात्रियों को आपूर्ति किए जाने वाले पेयजल की गुणवत्ता की कथित उपेक्षा और क्लोरीनेशन प्लाटों की स्थापना के लिए  ठेके देने में हेराफेरी की बात कहते हुए कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की थी.


इससे पहले कोर्ट ने रेलवे द्वारा किराये में की गई वृद्धि को लेकर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि जब वह लोगों को उचित सुविधाएं नहीं दे रहा तो किराया कैसे बढ़ा सकता है, इसके साथ कोर्ट ने रेलवे से कहा था कि वह यात्रियों को दूषित पानी देना बंद करे. कोर्ट ने निर्देश दिया  कि इस मामले को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के समक्ष रखा जाए, जो यात्रियों को दिये जा रहे पानी पर एक रिपोर्ट देंगे जिसे बाद में रेल मंत्रालय के समक्ष रखा जाएगा.


इससे पहले एनजीओ के वकील ने कोर्ट से कहा था कि रेलवे न तो भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा पीने के पानी के लिए निर्धारित मानकों का पालन कर रहा है और  ना ही भारतीय रेलवे मेडिकल मैनुअल का पालन कर रहा है. उन्होंने कहा था कि स्टेशनों और ट्रेनों में जो पानी उपलब्ध कराया जा रहा है उसमें ई.कोलाई बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच तक नहीं की जा रही है. एनजीओ ने कहा था कि जबकि रेलवे के पास अपना खुदका स्वतंत्र पानी सप्लाई का सिस्टम है इसके बावजूद वह यात्रियों और रेलवे के स्टाफ को साफ पानी की सप्लाई करने में असफल रहा है.


एनीजीओ ने आरोप लगाया कि रेलवे  पिछले कई सालों से पेयजल की क्वालिटी को नजरअंदाज करता आया है और आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ सालों में उसके पानी की गुणवत्ता काफी खराब पाई गई है. इसके अलावा एनजीओ ने याचिका में आरोप लगाया कि क्लोरीनेशन  द्वारा पानी को साफ करने का रेलवे का बुनियादी ढांचा भी पूरी तरह बेकार हो चुका है और लोगों को प्रदूषित पानी की सप्लाई हो रही है.


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