Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम की दो अलग-अलग अर्जियों पर 30 जनवरी को एक साथ सुनवाई करेगा. इमाम ने दोनों अलग-अलग अर्जियों में 2020 दंगों से संबंधित राजद्रोह के एक मामले में नियमित जमानत और अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है.
कोर्ट ने कहा- एक से अधिक बार नहीं उठाया जा सकता एक मुद्दा
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत मामले पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर अंतरिम जमानत देने के लिए इमाम की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि अर्जियां एक ही प्राथमिकी से संबंधित हैं और इनमें समान मुद्दे नहीं उठाए जा सकते. अदालत ने कहा, ‘‘एक ही प्राथमिकी से संबंधित आपकी दो अपील (निचली अदालत द्वारा नियमित जमानत और अंतरिम जमानत से इनकार के खिलाफ) लंबित हैं. हम उन्हें एक साथ सुनेंगे. आप एक ही मुद्दे को एक से अधिक बार नहीं उठा सकते. ऐसे सुनवाई नहीं होती.’’
तीन साल से हिरासत में शरजील इमाम
इमाम के वकील ने अदालत को सूचित किया कि नियमित जमानत के लिए उनकी अर्जी पर अप्रैल में सुनवाई होगी और उन्होंने शीर्ष अदालत द्वारा राजद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता तय करने तक अंतरिम रिहाई का अनुरोध किया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इमाम तीन साल से हिरासत में है. अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राजद्रोह के आरोपों का सामना करने वालों की रिहाई का आदेश नहीं दिया है और वर्तमान मामले में इमाम पर राजद्रोह के अलावा अन्य अपराधों के भी आरोप लगाये गये हैं.
शरजील इमाम पर क्या हैं आरोप
अदालत ने माना कि यह मामला आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है, इसलिए नियमित जमानत अर्जी पर अप्रैल के बजाए 30 जनवरी को सुनवाई की जाएगी. उसी दिन अदालत अंतरिम जमानत की अर्जी पर भी सुनवाई करेगी. पिछले साल निचली अदालत ने इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय एकता के विरूद्ध कृत्य), 505 (शरारत के उद्देश्य से दिया गया बयान) और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, इमाम ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिया था, जहां उसने असम और शेष पूर्वोत्तर को भारत से काट देने की धमकी दी थी.
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