दिल्ली हाई कोर्ट ने एक निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है जिसमें एक शख्स को फरवरी 2017 में एक दस साल की बच्ची को स्कूल जाते समय उसके गाल पर किस करने के लिए दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने कहा कि ये अचानक और गलती से होने वाली घटना नहीं थी. हालांकि, अदालत ने दोषी की सजा को छह साल से घटाकर पांच साल कर दिया.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि अभियोजन पक्ष के सबूत यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 10 (गंभीर यौन हमला) के तहत अपराध को "उचित संदेह से परे" साबित करते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि आरोपी मौके पर मौजूद था. अदालत ने कहा कि एकमात्र मुद्दा जो बचता है वह यह है कि क्या उसका हाथ गलती से पीड़ित को छू गया या घटना जैसा कि पीड़ित ने आरोप लगाया था.
'पिता ने की पुष्टी'
जस्टिस गुप्ता ने कहा, "इस घटना की पुष्टी बच्ची के पिता ने की, जो उससे सिर्फ 10-15 कदम पीछे थे. बच्ची के पिता स्कूल की ओर जाने वाली सड़क की ओर मुड़ा, इसलिए एक स्वाभाविक गवाह थे. घटना के तुरंत बाद पीड़िता को पुलिस स्टेशन ले जाया गया और पीड़िता का बयान दर्ज किया गया और अगले दिन सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया, जिससे छेड़छाड़ या ट्यूशन की कोई संभावना कम हो गई."
कम हुई सजा
जस्टिस गुप्ता ने सजा को एस साल कम करते हुए कहा कि अपराध के लिए निर्धारित न्यूनतम सजा पांच साल और अधिकतम सात साल है. उन्होंने कहा, "अपीलकर्ता की कोई पिछली संलिप्तता नहीं है. सुनवाई के दौरान और अपील के लंबित रहने के दौरान अपीलकर्ता लगातार जेल में रहा है."
निचली अदालत ने ठहराया था दोषी
बता दें कि आरोपी को निचली अदालत ने सितंबर 2019 में दोषी ठहराया था. पुलिस के अनुसार उसने पांचवीं कक्षा की छात्रा पीड़िता को 'अचानक पकड़ लिया' और जब वह अपने स्कूल की ओर जा रही थी, तो 'जबरन उसके गाल पर किस कर लिया.' पीड़ित पक्ष ने निचली अदालत को बताया था कि जब बच्ची ने शोर मचाया तो उसके पिता मौके पर पहुंचे और अन्य लोगों की मदद से आरोपी पर काबू पा लिया.
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