Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बैंकों को जांच एजेंसियों द्वारा जानकारी मांगे जाने जैसे मसले को गंभीरता से न लेने पर फटकार लगाई है. मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने बैंकों (Bank) के अधिकारियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पुलिस (Delhi Police) के साइबर अपराध प्रकोष्ठों (Cyber Cell) की ओर से सूचना मांगने की प्रक्रिया को सिरियसली लें. यह भी सुनिश्चित करें के जांच एजेंसियों को सटीक जानकारी कम से कम समय में मिले. इतना ही नहीं, बैंक अधिकारी जांच एजेंसियों के सवालों का जवाब पूरी तत्परता के साथ दें. 


डीपी ने बैंकों के रवैये पर जताई थी चिंता


दिल्ली हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी वाले लेनदेन और ग्राहकों को धोखा देने से संबंधित मामलों पर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कई बैंकों को जांच एजेंसियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देने के लिए रिपोर्ट पेश करने को कहा. दिल्ली पुलिस ने पुलिस अधिकारियों या अदालतों के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पूछे गए सवालों का बैंकों द्वारा तुरंत जवाब नहीं देने पर चिंता जताई है।


आरबीआई से मांगे इन सवालों के जवाब


दूसरी तरफ दिल्ली उच्च न्यायालय ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि क्या पुलिस या अदालतों द्वारा जारी आदेशों के अनुपालन को लेकर बैंकों के लिए कोई दिशानिर्देश है या नहीं. साथ ही उन मामलों से उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान दिया गया है या नहीं, जहां आरोपी विभिन्न राज्यों में स्थित हैं, जिससे दिल्ली पुलिस के लिए साइबर अपराध पर अंकुश लगाना मुश्किल हो गया है।


तालमेल के लिए बैठक कॉल करे केंद्र  


न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों के साइबर अपराध प्रकोष्ठों के बीच समन्वय की जरूरत पर जार देते हुए केंद्र सरकार को ऐसे सभी कक्षों की एक बैठक आयोजित करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने बैठक के लिए समय सीमा तय करते हुए इसे 20 दिसंबर तक आयोजित करने का निर्देश दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी, 2024 को होगी. बता दें कि दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने हाईकोर्ट को जानकारी दी थी अपराध के अलग-अलग मामलों में जरूरी जानकारी मांगने का बैंकों की सही और गंभीरतापूर्वक जवाब नहीं दिया जा रहा है. इससे पुलिस की जांच प्रभावित होने लगी हैं. 


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