चाहे लद्दाख की बर्फीली हवाएं हों या राजस्थान का रेगिस्तान, IIT दिल्ली ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए तैयार किया खास कपड़ा
Delhi News: इस गणतंत्र दिवस पर आईआईटी दिल्ली के एक स्टार्टप ने ऐसा झंडा बनाया है जो हर मौसम के लिए सक्षम होगा. झंडे की सामग्री कठोर मौसम की स्थिति में भी टिकाऊ बनी रहेगी.
Delhi News: इस गणतंत्र दिवस पर आईआईटी दिल्ली देश को एक अनोखा तोहफा देने जा रहा है. आईआईटी के एक स्टार्टअप ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक शीर्ष और उन्नत गुणवत्ता वाला कपड़ा विकसित किया है. झंडे की सामग्री कठोर मौसम की स्थिति में भी टिकाऊ बनी रहेगी. चाहे वह लद्दाख की बर्फीली हवाएं हों, असम की बरसात हो या फिर राजस्थान का रेगिस्तान.
क्या है झंडे की खासियत
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप द्वारा तैयार किया जा रहा राष्ट्रीय ध्वज का कपड़ा वजन में हल्का है. इसके चलते विशाल तिरंगे झंडे बनाने के बावजूद यह वजन में काफी हल्के रहेंगे. झंडे के निर्माण में विशेष सूत का इस्तेमाल किया जा रहा है. शुरूआत में इसके 10 प्रोटोटाइप विकसित किए जा रहे हैं.
भारत के मौसम को ध्यान में रखते हुए हो रहा कार्य
आईआईटी दिल्ली के मुताबिक भारत की विविध जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए झंडे के फैब्रिक की इंजीनियर डिजाइनिंग और विकास एक बड़ी चुनौती है. ध्वज की सामग्री का चयन करते समय खासतौर पर भारत के विविध मौसमों की स्थिति को ध्यान में रखा जा रहा है.
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप ने बनाया है झंडा
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप स्वाट्रिक ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए कई उन्नत कपड़े की संरचनाएं तैयार की हैं. प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं ने कपड़े की ताकत में 100 प्रतिशत तक सफलतापूर्वक सुधार किया है. पिछले साल, स्वाट्रिक और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एफएफआई) ने भारत के विविध जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज के लिए सर्वोत्तम कपड़े के डिजाइन और संरचना को फिल्टर करने के उद्देश्य से हाथ मिलाया था.
राष्ट्रीय ध्वज के दो अलग-अलग प्रोटोटाइप स्थापित
आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप की रिसर्च से हासिल उन्नत फैब्रिक का उपयोग करते हुए, फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय ध्वज के दो अलग-अलग प्रोटोटाइप स्थापित किए हैं. इनमें से एक दिल्ली में और दूसरा लद्दाख में. आईआईटी के मुताबिक इस रिसर्च का उद्देश्य ध्वज सामग्री को अत्यधिक भारी किए बिना चरम मौसम की स्थिति के लिए टिकाऊ बनाना है.
आईआईटी दिल्ली के कपड़ा और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिपिन कुमार का कहना है कि अगले महीने हम देश में अलग-अलग स्थानों पर स्थापना के लिए 10 अलग-अलग प्रोटोटाइप भेज रहे हैं. अब तक, हमारा शोध प्रोटोटाइप चरण में है. अगले कुछ महीनों में ध्वज के सटीक स्थायित्व का पता चल जाएगा.
स्थापना के लिए 10 अलग-अलग प्रोटोटाइप भेजे जाएंगे
आईआईटी दिल्ली भी अपने परिसर में एक स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज स्थापित करने की प्रक्रिया में है. परियोजना के मार्च 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है. नवीन जिंदल, संस्थापक, फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया और अध्यक्ष, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र इस परियोजना में योगदान देने के लिए आगे आए हैं.
शुरूआती नतीजे रहे उत्साहजनक
प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव, निदेशक, आईआईटी दिल्ली ने कहा, आईआईटी दिल्ली के संकाय सदस्य राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित कई पहलुओं को देख रहे हैं. वे स्मारकीय झंडों के लिए सामग्री मानकों को विकसित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं और वर्तमान में इसको लेकर बहुत सारे क्षेत्रों में परीक्षण चल रहे हैं. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि शुरूआती नतीजे उत्साहजनक हैं. गौरतलब है कि फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक गैर-लाभकारी संस्था है जो सोसायटी के पंजीकरण अधिनियम 1980 के तहत पंजीकृत है.
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