Delhi: तीस साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पकड़ा गया था पाकिस्तान में
Delhi News: महमूद अंसारी का दावा है कि वे 14 साल पाकिस्तान की जेल में बंद रहे. कोर्ट ने कहा कि वह उनके दावों पर विचार नहीं व्यक्त कर रही है बल्कि पूरे दृष्टिकोण को देखते हुए आदेश दिया है.
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जासूस महमूद अंसारी को बड़ी राहत दी है. अंसारी तीन दशकों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे. अब 75 साल के हो चुके महमूद का दावा है कि वे जासूसी के आरोप में पाकिस्तान (Pakistan) की जेल में 14 साल बंद रहे. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार (Central government) को उन्हें 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है. 75 साल के महमूद अब राजस्थान के कोटा में रह रहे हैं.
दावों पर विचार व्यक्त नहीं कर रहे-कोर्ट
चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट की बेंच ने यह आदेश दिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह उनके दावों पर विचार नहीं व्यक्त कर रही है बल्कि पूरे दृष्टिकोण को देखते हुए यह आदेश दिया है. बता दें कि महमूद की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने पाकिस्तान की जेल से पत्र लिखकर अपने विभाग के साथ-साथ भारत के गृहमंत्री को जानकारी दी थी और उन्होंने अपनी छु्ट्टी के लिए एप्लीकेशन भी दिया था.
क्या है महमूद अंसारी का दावा
बता दें कि महमूद अंसारी डाक विभाग में नौकरी करते थे. उन्होंने 1966 में नौकरी ज्वाइन किया था. उनका दावा है कि उन्हें जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में पकड़ लिया गया. उन्हें 12 दिसंबर 1976 को पाकिस्तानी रेंजरों ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और 1978 में पाकिस्तान में उन्हें 14 साल जेल की सजा सुनाई गई. इसके बाद भारत में उनकी नौकरी चली गई. 1980 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.
1989 में सजा पूरी कर लौटे देश
याचिकाकर्ता का कहना है कि, अपनी नौकरी बचाने के लिए वहां की जेल से उन्होंने काफी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्होंने कई लेटर भी लिखे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. महमूद ने हार नहीं मानी और अपने हक के लिए लड़ते रहे. 1989 में सजा पूरी होने के बाद वे रिहा कर दिए गए और अपने देश वापस लौटे तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किए जाने की सूचना मिली. इसे लेकर उन्होंने कोर्ट का रुख किया.
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