दिल्ली ISBT पर नया ‘स्टैंड शुल्क’ लागू, जाम से मिलेगी राहत, इन बसों की एंट्री पर लगी रोक
Delhi News: दिल्ली एलजी कार्यालय के मुताबिक अभी तक निजी बसों से अधिक किराया लिया जाता रहा है. इससे बचने के लिए निजी बस चालक आईएसबीटी परिसर के बाहर सड़कों पर वाहन पार्क कर यात्रियों को बैठाते हैं.
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Delhi ISBT News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार से अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आईएसबीटी) से चलने वाली बसों के लिए नया ‘स्टैंड शुल्क’ लागू होगा गया. राज निवास के अधिकारियों ने बताया कि संशोधित शुल्क केवल ‘फास्टैग’ आधारित प्रणाली के माध्यम से वसूला जाएगा और बिना फास्टैग के किसी भी बस को टर्मिनल परिसर में प्रवेश करने और परिचालन की इजाजत नहीं दी जाएगी.
दिल्ली राज निवास के अधिकारियों ने कहा, “राज्य सरकार की बसों, एआईटीपी और अन्य निजी बसों (वैध परमिट के साथ) के अंतरराज्यीय संचालन के लिए नया‘स्टैंड शुल्क’ 14-15 सितंबर की मध्यरात्रि से लागू हो गया है. यह कश्मीरी गेट, आनंद विहार और सराय काले खां स्थित आईएसबीटी से चलने वाली सभी बसों पर लागू होगा.”
राजस्व का नहीं होगा नुकसान
दिल्ली एलजी कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक अभी तक निजी बसों से अधिक किराया लिया जाता रहा है, जिसकी वजह से वे आईएसबीटी परिसर के बाहर सड़कों पर अनाधिकृत रूप से वाहन पार्क कर यात्रियों को बैठाते हैं, जिससे सड़क पर भारी यातायात जाम की स्थिति पैदा होती है. निजी बसों की इस हरकत की वजह से राज्य द्वारा संचालित बसों को यात्री राजस्व की हानि होती है.
अधिकारियों ने बताया कि अब परिवहन विभाग इन बस टर्मिनल का उपयोग करके आने-जाने वाली अंतरराज्यीय बसों के लिए नई दरें और मानदंड तय करेगा.
दिल्ली परिवहन विभाग के नए नियमों के मुताबिक अब अन्य प्रदेशों से आने वाले बसों को कश्मीरी गेट बस अड्डा, आनंद विहार बस टर्मिनल और सराय काले खां बस अड्डा में Fastag के बिना एंट्री नहीं दी जाएगी. सभी बसों के लिए Fastag लगाना अनिवार्य होगा. अगर किसी बस में Fastag नहीं है तो उसके लिए अलग से व्यवस्था की गई है.
परिवहन विभाग ने ISBT के बाहर Fastag की व्यवस्था करेगी, ताकि निजी बस संचालक फास्टैग वहां खरीदकर लगा लें. अधिकारियों ने बताया कि आईएसबीटी से जुड़े नियमों में बदलाव के बाद बसों के मूवमेंट में भी गति आने की उम्मीद है.
बसों की संख्या 3000 तक पहुंचने की उम्मीद
बता दें कि आईएसबीटी परिसरों में हर रोज 1700 बसें आती और जाती हैं. नियमों के सुधार के बाद इसकी संख्या 3000 तक पहुंचने की उम्मीद है.
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