Delhi News: दिल्ली के चांदनी चौक के एक बड़े टेक्सटाइल कारोबारी वीर सेन की 10 साल हत्या हुई थी. उनकी हत्या 9 नवंबर, 2014 को ड्राइवर ने अपने भाई और एक साथी के साथ मिलकर जामा मस्जिद स्थित घर में ही कर दी थी. घर में रखे 15 लाख रुपये कैश बैग समेत अन्य सामान लूट कर फरार हो गया था. मृतक वीर सेन का गिरिराज टेक्सटाइल और अरुणा साड़ी सेंटर के नाम से व्यवसाय था. हत्या के बाद जामा मस्जिद थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी. 


जांच के दौरान थाना पुलिस ने आरोपियों की पहचान राजवीर, सर्वेश और मास्टरमाइंड देवेंद्र के रूप में हुई थी. देवेंद्र घटना के बाद से लगातार फरार चल रहा था. पुलिस कमिश्नर ने इसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था.


टेक्निकल सर्विलांस से मिला आरोपी का पता 


स्पेशल सीपी शालिनी सिंह ने बताया कि लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मार्गदर्शन में एसीपी उमेश बर्थवाल की देखरेख में इंस्पेक्टर रमेश तोमर, एएसआई रविंदर तोमर और अन्य की टीम को लगाया गया था. पुलिस टीम टेक्निकल और मैन्युअल सर्विलांस से लगातार इसके बारे में जानकारियों को विकसित करने में लगी हुई थी. आखिरकार, पुलिस की मेहनत रंग लाई और पुलिस को इसके गाजियाबाद में कहीं छिपे होने का पता चला.


पांडव नगर फैक्ट्री से क्राइम ब्रांच ने दबोचा


मुख्य आरोपी का पता मिलने के बाद थाना पुलिस की टीम गाजियाबाद पहुंची. जहां पुलिस ने इसके बारे में डोर टू डोर पूछताछ कर पता लगाना शुरू किया. कई दिनों तक पांडव नगर की खाक छानने के बाद आखिरकार पुलिस इस तक पहुंची और एक फैक्ट्री से इसे दबोच लिया, जहां यह छिप कर काम कर रहा था.


पूछताछ में किया हत्या की साजिश का खुलाशा 


पूछताछ में आरोपी देवेंद्र ने बताया कि 10 साल पहले जब उसके भाई सर्वेश जो कि कारोबारी का ड्राइवर था, ने उसे बताया था कि कारोबारी हर रात बड़ी रकम लेकर जामा मस्जिद स्थित घर में आता है, तो उसने कारोबारी की हत्या कर लूट की योजना बनाई. इसके लिए उसने गांव से उसके साथी राजबीर को बुलाया और फिर हत्या वाली रात तीनों साथ मिल कर कारोबारी के जामा मस्जिद स्थित घर पहुंचे. सर्वेश ने दरवाजा खुलवाया, जबकि देवेंद्र गेट के बाहर निगरानी कर रहा था. उसने सर्वेश और राजवीर को अंदर भेजा. दोनों ने गमछे से गला घोटकर कारोबारी की हत्या की और फिर बैग में रखे लाखों रुपये लेकर वे वहां से फरार हो गए. कैश वाला बैग देवेंद्र ही लेकर भागा था और अपने पास रखा था.


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